सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआइटी) ने सोमवार को आरोप लगाया कि जकिया जाफरी की ओर से दायर याचिका अदालत को भ्रमित करने का प्रयास है। एसआइटी ने कहा कि जकिया जाफरी ने 2002 के गोधराकांड के बाद भड़के दंगा मामलों में गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी व अन्य को क्लीनचिट देने वाली उसकी रिपोर्ट खारिज करने और कोर्ट को भ्रमित कर अपने पक्ष में आदेश लेने के लिए याचिका दायर की है।
एसआइटी के वकील आरएस जमुआर ने अदालत को बताया, 'इस याचिका में 75 फीसद तथ्य एसआइटी द्वारा की गई जांच के संबंध में प्रासंगिक ही नहीं है। यह अदालत को भ्रमित कर अपने पक्ष में आदेश हासिल करने का प्रयास है।' सोमवार को जमुआर ने एसआइटी की ओर से मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गणात्रा के समक्ष जाफरी की याचिका का विरोध किया। मजिस्ट्रेट गणात्रा ने 15 मई को मामले पर नियमित आधार पर सुनवाई का आदेश दिया था। जाफरी द्वारा अधिकतर अप्रासंगिक तथ्य दाखिल करने के तर्क के समर्थन में जमुआर ने 2002 के दीपदा दरवाजा दंगा मामले, सितंबर 2002 में विहिप नेता आचार्य गिरीराज किशोर के भाषण, विधानसभा में मोदी के भाषण और फरवरी-जुलाई 2002 के बीच जुटाए गए अलर्ट संदेशों का जिक्र किया। एसआइटी ने जनवरी, 2012 में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें मोदी और अन्य को क्लीनचिट दी गई थी।
फोटो फर्स्ट्पोस्ट डॉट कॉम से साभार
एसआइटी के वकील आरएस जमुआर ने अदालत को बताया, 'इस याचिका में 75 फीसद तथ्य एसआइटी द्वारा की गई जांच के संबंध में प्रासंगिक ही नहीं है। यह अदालत को भ्रमित कर अपने पक्ष में आदेश हासिल करने का प्रयास है।' सोमवार को जमुआर ने एसआइटी की ओर से मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गणात्रा के समक्ष जाफरी की याचिका का विरोध किया। मजिस्ट्रेट गणात्रा ने 15 मई को मामले पर नियमित आधार पर सुनवाई का आदेश दिया था। जाफरी द्वारा अधिकतर अप्रासंगिक तथ्य दाखिल करने के तर्क के समर्थन में जमुआर ने 2002 के दीपदा दरवाजा दंगा मामले, सितंबर 2002 में विहिप नेता आचार्य गिरीराज किशोर के भाषण, विधानसभा में मोदी के भाषण और फरवरी-जुलाई 2002 के बीच जुटाए गए अलर्ट संदेशों का जिक्र किया। एसआइटी ने जनवरी, 2012 में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें मोदी और अन्य को क्लीनचिट दी गई थी।
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