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Monday, February 25, 2019

How's The Josh?

अनुचर     9:47 AM  No comments
Uri फ़िल्म के यह 3 शब्द हर किसी की जुबान पर चढ़ गए, जो भी फ़िल्म देख कर आता उसकी ज़ुबान पर एक ही डायलाग होता How's The Josh? जल्दी ही इस डायलाग ने पूरे देश मे अपनी पैठ बना ली, क्या बच्चे, क्या बूढ़े, और क्या जवान हर किसी की ज़ुबान पर अब How's The Josh? ही था ।


सुबह जब मैं ग्राउंड पर जाता तो देखता खेलने आये लड़के एक दूसरे से एक ही बात पूछते How's The Josh? फुटबॉल खेलने वाले गोल दागने के बाद How's The Josh? जवाब वही High Sir, क्रिकेट खेलने वाले विकेट ले लें तो How's The Josh? High Sir, चौका या छक्का मार दें तो सामने वाली टीम How's The Josh? High Sir, जब कोई अच्छा परफॉर्म नही कर पाता तो कोच चिल्लाता Where's The Josh?
ऐसा ही हाल सुबह शाम पार्को का था 70-80 साल के बुज़ुर्ग आपस मे How's The Josh? पूछते दिखते थे, टहलने आयी महिलाएं भी How's The Josh? से बच न सकी और उनकी ज़ुबान पर भी How's The Josh? था, बच्चों का उतसाह तो पूछिये ही मत, सड़क पर कोई भी स्कूल बस जा रही हो जोर से चिल्ला दीजिये How's The Josh? गगन भेदी गूंज के साथ जवाब आता था High Sir, छोटे छोटे LKG और UKG के बच्चे भी How's The Josh? के दीवाने हो चुके थे ।
यानी देश की भाषा बदल चुकी थी, नमस्कार good morning या good evening की जगह अभिवादन के नये तरीके How's The Josh? ने जगह बना ली थी, जिसे देखो How's The Josh? देश को How's The Josh? ने अपने आगोश में ले लिया था, ये एक आंदोलन की तरह फैल चुका था, पार्किंग कर के अब पार्किंग वाले से व्यक्ति "पार्किंग पर्ची दो" नही बोलता था अब How's The Josh? बोलते ही High Sir के जवाब के साथ पर्ची हाँथ में थमा दी जाती थी, यानी How's The Josh? अब एक डायलाग नही फैशन बन चुका था ।
अपने मंगेतर से मिल कर आई एक लड़की से उसकी सहेलियों ने हजारों सवाल की जगह उसे छेड़ते हुए सिर्फ एक सवाल कर डाला How's The Josh? लड़की ने शर्माते हुए जवाब दिया High Sir, ग्रुप में चिड़ियों की तरह चुबुलाहट होने लगी खिलखिलाती हुई वे अपनी बातों में मग्न हो गयीं, हॉस्पिटल में बच्ची के जन्म पर उसके पिता के दोस्त मिलने आये और आते ही पहला वाक्य How's The Josh? पिता ने सीना चौड़ा कर के जवाब दिया High Sir, उसी हॉस्पिटल में एक दूसरे कमरे में एक्सीडेंट में घायल एक लड़का बेड पर पड़ा था उसके टीचर उस से मिलने आये और हालचाल कुछ इस प्रकार पूछा How's The Josh? लड़के का मानो दर्द ही गायब हो गया हो पूरी ताकत के साथ जवाब देता है High Sir, देश की भाषा अब बदल चुकी थी, सवाल जवाब का तरीका बदल चुका था, How's The Josh? का डायलाग दवा बन कर दर्द भुला दे रहा था ।
इस सब के बीच कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें इस से अपने वजूद की चिंता होने लगी, एक डायलाग जिसने पूरे देश को एक सूत्र में पिरो दिया था उस डायलाग से कुछ बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और नेताओं को अपनी दुकान बन्द होने का खतरा सताने लगा, उन्होंने तुरंत इसे Hyper Nationalism बता दिया और आतंकवाद की श्रेणी में डाल दिया, Nationalism को तालिबान और ISIS से भी बड़ा खतरा बताया जाने लगा, देशभक्ति को जानलेवा वायरस बताया जाने लगा, लेकिन देश की जनता ने ऐसे प्रयासों को सिरे से नकार दिया ।
विरोधी बहुत परेशान थे कि आखिर इस राष्ट्रीयता की हवा से कैसे बचा जाए? कैसे इसका तोड़ निकाला जाए? क्योकि अब तो सरकार के मंत्री जहां जा रहे हैं एक ही बात पूछ रहे हैं How's The Josh? और जनता पूरी ताकत के साथ जवाब दे रही है High Sir, ये जोश किसी पार्टी के लिए नही बल्कि देश के लिए, देश की सेना के लिए और देश के जवानों के लिए था, पर नेता इस उलट समझ बैठे और उन्हें लगने लगा इस से मोदी और उनकी पार्टी को फायदा होगा, 56 इंच सीने के जवाब तो पहले ही नही दे पा रहे थे ऊपर से How's The Josh? कहर बन कर टूट पड़ा, फ़िल्म की टाइमिंग फ़िल्म के सीन और फ़िल्म को ले कर कई सवाल उठाए गए, पर जनता बे सब खारिज कर दिए, सबसे कमाल की बात पायरेटेड फ़िल्म देखने वालों ने भी टोरेंट से इस फ़िल्म को डाउनलोड नही किया और पिक्चर हॉल में फ़िल्म देख कर आये, यानी भरपूर समर्थ दिया, अब ऐसे में विरोधियों की चूलें हिलना स्वाभाविक था, उन्हें समझ मे आ चुका था कि चुनाव जीतना है तो 56 इंच के सीने को कमतर बताना होगा और Josh पर लगाम लगानी होगी ।
इसके बाद पुलवामा का हमला हुआ, विरोधियों को मानो संजीवनी बूटी मिल गयी हो, उन्होंने तुरंत अपने मीडिया व IT Cell को एक्टिव किया और सोशल मीडिया पर "कहाँ गया 56 इंच का सीना?" "Where is the Josh Modi ji?" ट्रेंड करने लगा, हमले की जिम्मेदारी आतंकवादियों और पाकिस्तान पर नही बल्कि सर्जिकल स्ट्राइक और Uri फ़िल्म पर रख दी गयी, How's The Josh? जैसे डायलाग और मोदी के 56 इंच सीने को दोषी बताया जाने लगा, एक तीर से कई निशाने साधे जा रहे थे, मोदी की अब तक कि उपलब्धियों को ढक कर ध्यान भटकाया जा रहा था, अब तक कि सबसे बड़ी उपलब्धि सर्जिकल स्ट्राइक को दोषी बता कर उसे गलत कदम बताया जा रहा था, देश मे बने राष्ट्रीयता के माहौल को खत्म किया जा रहा था, देश के Josh की हवा निकाली जा रही थी ।
सबसे बड़ा सवाल यहाँ ये है कि जिस 56 इंच के सीने, How's The Josh? डायलाग और सर्जिकल स्ट्राइक का विरोधियों को कोई तोड़ नही मिल रहा था, जिसकी वजह से उन्हें लगता था वे चुनाव बुरी तरह हार जाएंगे ऐसे में चुनाव से ठीक पहले हुआ ये हमला बहुत संदेह उत्पन्न करता है, क्या यह हमला उन नेताओं उन पार्टियों में नई जान फूंकने के लिए किया गया था तो कल तक बुरी तरह बैकफुट पर थी? क्या पाकिस्तान चाहता है कि मोदी को हटाया जाए और विरोधियों को सत्ता मिल जाये इसलिए पाकिस्तान ने ये हमला करवाया? क्या जिन विरोधियों को जवाब नही मिल रहा था उनकी संलिप्पता है इस हमले में? बैकफुट और हार की कगार पर बैठे विरोधी और चुनाव से ठीक पहले हुआ हमला बहुत कुछ कह रहा है? वैसे हमले के बाद से विरोधियों में नई ऊर्जा तो देखते ही बनती है ।

साभार : श्री नितिन शुक्ला 

मोदी जो भी करते हैं दुनिया से हट कर करते हैं

अनुचर     9:23 AM  No comments
मोदी जो भी करते हैं दुनिया से हट कर करते हैं, वे हर बार परंपराओं को तोड़ कर कुछ ऐसा करते हैं जो चर्चा का विषय बन जाता है, गौर से देखिये इस फोटो को, इस फोटो ने कल से धमाल मचा रखा है, क्या है किसी नेता में ये माद्दा? क्या आज तक भारत के किसी प्रधानमंत्री ने सफाईकर्मियों का ऐसा सम्मान किया है?

नेता दम्भ से भरे होते हैं, इसके विपरीत नरेन्द्र मोदी सभी नेताओं से हट कर व्यवहार करते हैं, चाहें संसद की सीढ़ियों पर माथा टेकना हो, चाहें रैली के स्टेज पर बुज़ुर्गो के पैर छूना हो मोदी ने हर बार देश के सामने एक नई मिसाल पेश की है, कल सफाई कर्मियों के पैर धो कर भी मोदी ने कुछ ऐसा ही किया, कुछ लोग कल की घटना को चुनाव के मद्देनजर पब्लिसिटी स्टंट कह रहे हैं, तो चुनाव में बम्पर जीत के बाद जब सदन की सीढ़ियों पर माथा टेका था तब कौन से चुनाव होने थे? कोई भी नही, फिर भला मोदी ने ऐसा क्यों किया? क्या ज़रूरत थी?
मोदी को समझना है तो उनके भूतकाल में जाना पड़ेगा, बचपन मे घर छोड़ देने के बाद मोदी संघ में आये, और तब से लगातार संघ में ही रहे, संघ के स्वयंसेवक रहे और तृतीय वर्ष शिक्षा प्राप्त कर संघ के प्रचारक बने, ये संघ की ही शिक्षा है जो किसी भी व्यक्ति में पॉजिटिव बदलाव करती है, संघ व्यक्तित्व निर्माण करता है, वह व्यक्तित्व निर्माण जो कल आपने देखा, संघ का प्रचारक एक आम आदमी से बहुत हट कर होता है (कृपया संघ की पोल खोल सिरीज़ पढ़ने का कष्ट करें), उनमें नाम मात्र का भी घमंड नही होता, वे कभी भेदभाव नही करते, ये सब संघ शिक्षा की बदौलत मोदी के खून में है ।
कल जब आप सब देश के प्रधानमंत्री को पैर धोते देख दांतो तले उंगलियां दबा रहे थे तब में यह वीडियो सब को फॉरवर्ड कर संघ शिक्षा के दर्शन करवा रहा था, आप सबको पैर धोता प्रधानमंत्री दिखाई दे रहा था पर मुझे तो संघ का प्रचारक नज़र आ रहा था, आप सबके लिए यह एक अजूबी घटना थी पर मेरे लिए यह एक सामान्य घटना थी, आज से तकरीबन 2 वर्ष पूर्व मेरे लिए भी ऐसी घटनाएं अजूबी हुआ करती थी लेकिन जैसे जैसे संघ प्रचारकों को थोड़ा करीब से देखा तो पाया यह सब उनकी सामान्य दिनचर्या है(कृपया संघ की पोल खोल सीरीज पढ़ने का कष्ट करें), ऐसी अजूबी घटनाएं देखना अब मेरे लिए आम बात है ।
जिन अक्ल के अंधों को संघ में भी जातिवाद दिखाई देता है वे इस फोटो और वीडियो को आंखे फाड़ फाड़ कर तब तक देखें जब तक उनकी आंखों और दिमाग से गंदगी बाहर न निकल जाए, जो लोग संघ प्रचारकों को बिना जाने परखे कुछ भी बोलते हैं उन्हें भी यह फोटो और वीडियो ज़रूर देखना चाहिए, मोदी की यह फोटो संघ संस्कारों का असली परिचय करवाती है, जहाँ कार्य करने वाले कार्यकर्ता को पूजा जाता है, यहाँ पद की नही कार्यकर्ता यानी एक मामूली से स्वयंसेवक को भी पूजा जाता है, वो गरीब है उसकी क्या जाती है ये कभी नही देखा जाता, संघ का राजनीति से कोई मतलब नही है, संघ को अगर किसी चीज से मतलब है तो वो आपके व्यक्तित्व निर्माण से, आपके अंदर के राम को संघ बाहर लाने का काम करता है, आपके अंदर के रावण का वध करने का काम संघ करता है, मैंने कह दिया और आपने मान लिया? ऐसे चलेगा क्या? बिल्कुल नही, इसलिए आज ही खुद से संघ जाइये और खुद से अनुभव कीजिये, बाकी जिन्हें बुराई करनी है वे बिना जाने करते ही रहेंगे, बुराई करना उनकी मजबूरी है उनकी पार्टी लाइन है, लेकिन ऑफ दा रिकॉर्ड वे भी संघ की तारीफ करते नही थकते ।
ऐसे संघ पर मुझे गर्व है, ऐसे प्रचारकों को में नकमस्तक हो कर प्रणाम करता हूँ, ये देश सदा संघ और उनके प्रचारकों का ऋणी रहेगा, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी खपा दी सिर्फ देश की खातिर, ये सिर्फ देश के जीते हैं देश के लिए मरते हैं, मेरा दंडवत प्रणाम संघ को पहुचे हर प्रचारक तक पहुचे हर एक स्वयंसेवक तक पहुचे, आप सब जिस राष्ट के निर्माण में लगे हैं कल की फोटो उसका पोस्टर मात्र है, पिक्चर अभी बाकी है दोस्त !

साभार : श्री नितिन शुक्ला 

Wednesday, October 24, 2018

Best Deals of Great Indian Festival

अनुचर     12:12 PM  No comments

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Tuesday, January 30, 2018

इज़राइल जाकर ये दस काम नहीं किये तो क्या किया

अनुचर     11:16 AM  No comments
आपको इज़राइल की दस ऐसी खास चीजें बताने जा रहे हैं जिनहे आपको इज़राइल मे जाकर देखना चाहिये , या जिनहे आपको इज़राइल मे जाकर करना चाहिये


इज़राइल इतना अधिक आकर्षक है की वहाँ के atractions मे से दस मुख्य atractions की लिस्ट बनाना बहुत ही मुश्किल काम है।

आप एक सप्ताह के टूर पे जा रहे हो या एक महीने, इससे इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता, इस लिस्ट के अनुस्रार घूमेंगे तो आपको पूरा इज़राइल ज्यादा और मजेदार देखने को मिलेगा ।

तो चलिये शुरू करते हैं


10. मृत सागर मे फ्लोटिंग


ये धरती का लोवेस्ट पॉइंट है । इस समुद्र मे कोई डूबता ही नहीं है । इस समुन्दर कोई भी तैर सकता है । किसी को भी हाथ पैर चलाने की जरूरत नहीं। बस घर के बिस्तर की तरह आराम से समुद्र पर सो जाइए, आप नाव की तरह पानी पर फ्लोट करते रहेंगे, डूबेंगे नहीं।


09. येरूशेलम का पुराना शहर

वाकई मे इज़राइल आए और येरूशेलम नहीं देखा तो क्या देखा। यहाँ की wailing wall, यहाँ के चर्च, और चट्टान का डोम।
आप अपना पूरा दिन यहाँ बिता सकते हैं। पुराने शहर के बाज़ारों की सकड़ी गलियों की दुकाने आपका इंतजार कर रही है।
जिस जगह जीसस को सूली पर चड़ाया गया था वहाँ तो जाना भूलना ही मत।
येरूशलम का विस्मयकारी टूर आपके दिमाग से कभी नहीं जाएगा

08. तेल अवीव के कारमेल मार्केट मे मोलभाव का अलग ही मजा है


तेल अविव का कारमेल मार्केट मे जाकर आप अपनी बार्गेनिंग सकिल की धार को तेज कर सकते हैं। यही वो जगह है जहां आपको असली इज़राइल मिलेगा। एलेनबी स्ट्रीट से कपड़ो की दुकाने शूरु होती है। उसके बाद तरह तरह का भोजन, तरह तरह के मसालों की खुशबू और दूकानदारों के बीच का कोंपीटीशन देखकर मजा आ जाएगा ।

इस जगह भी आप अपना पूरा दिन बिता सकते है

07. लाल सागर की स्कूबा डाइविंग


अगर आप समुद्र की शानदार मूंगा चट्टानें देखना चाहते हों , खूबसूरत मछलियाँ देखना चाहते हों , और क्रिस्टल से भी साफ पानी देखना चाहते हों, तो ईलाट चले जाइए।
यहाँ पूरे साल जाया जा सकता है।
जो स्कूबा डाइव नहीं करना चाहते उनके लिए अंडर वॉटर ओबजरवेटरी है , शानदार बीच हैं , और यदि स्कूबा डाइव के मजे लेने हैं तो कहना ही क्या ।


06. याद वाशेम


हो सकता है यहाँ जाकर आपको बहुत दुख हो, लेकिन इज़राइल को गहराई से जानना हो तो ये जगह बहुत खास है । ये इज़राइल के उन साठ लाख यहूदियों का याद मे बनाया गया स्मारक है, जिनका नाजयों ने सामूहिक नरसंहार किया था ।

45 एकड़ मे फेली हुई जगह पर म्यूजियम हैं, मोनुमेंट्स हैं, प्रदर्शनी स्थल है , लाइब्रेरी हैं और कई सारे ऐसे रिसोर्स हैं जो आपके दिलो दिमाग को होलोकास्ट यानि की समूहिक नर संहार की याद दिला देंगे । 


05. रेमन क्रेटर के मुह पर खड़े होकर फोटो खींचना मत भूलना


इज़राइल के दक्षिण के रेगिस्तान मे रेमन क्रेटर है। बीरशेवा से यहाँ जाने मे एक घंटा लगता है । ये क्रेटर 40 किलोमीटर लंबा और 10 किलोमीटर चौड़ा है । इसे पानी ने और पर्यावरण ने प्रक्रतिक रूप से दिल के शेप मे उभार दिया है

ये दुनिया का सबसे बड़ा क्रेटर है । इसकी ड़ीपेस्ट पॉइंट की गहराई 500 मीटर भी है


04. तेल अविव के बीच पर सन सेट का मजा


तेल अवीव के खूबसूरत रेतीले समुद्री बीच सन सेट देखने के लिए एकदम सही जगह है। बीयर की बोतल के साथ, या वाइन के पेग के साथ या जो भी आप पसंद करते हों उसके साथ ।

आराम से रेत मे लेटकर डूबते सूरज का सुखद अनुभव शब्दों मे बताया नहीं जा सकता । अपने दिन भर के घूमने फिरने का समापन करने के लिए इससे बेहतर क्या होगा ।


03 मसाद के किले


इज़राइल के दक्षिण पश्चिम के पठार पर, मृत सागर को देखते हुए मसाद के किले खड़े हैं। मसाद की कहानी भी यहूदी वीरताओं मे से एक कहानी है । यहाँ रहने वाले 1000 लोगों ने रोमन शत्रु के सामने आत्मसमर्पण करने की बजाय सामूहिक आत्महत्या कर ली थी ।

आगर आप एडवेंचर के शौकीन है तो साँप की तरह लहराते हुए रास्तों से छलके मसाद के शिखर पर जाना मत भूलना , नहीं तो फिर यहाँ केबल कार भी है । यहाँ से सूर्योदय का नजारा सबसे अद्भुत होता है ।


02. हैरत मे डालने वाले हाइफा के बहाई गार्डन


बहाई गार्डन्स की अद्भुत छत वो जगह है जहां शायद पर्यटक सबसे पहले न जाते हों । लेकिन इज़राइल जाएँ तो इस जगह जरूर से जरूर जाना चाहिए । बहाई गार्डन दुनिया के सबसे खूबसूरत गार्डन हैं ।

और हाँ यहाँ जाना फ्री है


01. तेल अविव की रातें


तेल अविव वो शहर है जो कभी सोता नहीं, यहाँ की नाइटलाइफ़ शानदार है। यहाँ आपको सब कुछ मिलेगा ।

यहाँ के अनगिनत बार, क्लब्स, म्यूजियम, थेटर, डांस क्लब्स, आपको पता ही नहीं चलने देंगे की कब सुबह हो गयी

सुबह होने तक तेल अविव शहर आपको लुभाता रहेगा

इज़राइल का ये वाला विडियो देखिये 








Wednesday, December 27, 2017

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ के साथ मेट्रो मे सफर किया

अनुचर     2:18 PM  No comments
नोएडा मे दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन के उदघाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मेट्रो मे सफर किया

देखिये विडियो


Saturday, December 2, 2017

आदत बदलें खेल खेल में

अनुचर     9:39 AM  No comments
अच्छी आदतें डालना और बुरी आदतों से पीछा छुड़ाना बहुत ही मुश्किल काम होता है।



हम सभी मे कोई न कोई ऐसी आदतें होती है जिनसे हम मुक्त होना चाहते हैं। हम जानते हैं की ये आदतें सही नहीं है लेकिन फिर भी ये बुरी आदतें हमसे छूट नहीं पाती है।
इसी प्रकार से कुछ आदतें ऐसी भी होती है जो हम जानते हैं की ये आड़ते बहुत अच्छी है। हम आइस आदतों को अपनाना चाहते हैं। लेकिन अपना नहीं पाते।

इसका सिर्फ एक ही कारण होता है और वो है हमारी कमजोर इच्छा शक्ति

लेकिन मेरी निगाह एक ऐसी वेबसाइट पर पड़ी जो लोगों की आदते बदल रही है। ये वेबसाइट वाकई मे लोगों की आदतें बदल रही है। मैंने इस वेबसाइट की रेंकिंग देखि तो वो भी कमाल की दिखाई दी। काफी सारे लोगों की आदतें ये वेबसाइट बदल चुकी है।

यदि किसी काम को खेल खेल मे किया जाये तो फलीभूत होने लगता है। और यही काम ये वेबसाइट करती है। ये वेबसाइट खेल खेल मे ही लोगों की आदत बदल रही है।
आपको ऐसा लग रहा होगा की मैं इस वेबसाइट का प्रचार कर रहा हूँ। हाँ आप सही समझे मैं वाकई मे इस वेबसाइट का प्रचार ही तो कर रहा हूँ। लेकिन मैं आपको यह भी बताना चाह  रहा हूँ की मैं इस वेबसाइट की किसी भी फाउंडर को या किसी अन्य कर्मी को नहीं जानता हूँ।

मैं इस वेबसाइट के का उपयोग करने की सलाह सिर्फ इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि मैंने स्वयं पर इसे आजमाया... और यह सफल रही।

किसी भी आदत को छुड़ाने या नयी आदत के लिए जबर्दस्त इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है... लेकिन यहाँ आप खेल ही खेल मे अपनी आदतें बदल पाएंगे।

इससे सिर्फ दो महीने के समय मे आप नयी आदत बना पाएंगे और इसके लिए आपको बहुत ही सीमित इच्छा शक्ति का प्रयोग करना पड़ेगा।

चाहें आप रोज दौड़ने की कौशिश कर रहे हों, या पहले से अधिक पुस्तकें पढ्ना चाहते हों, या फिर एक नए कौशल का अभ्यास करना चाहते हों... आप थोड़ी सी इच्छा शक्ति मात्र से ये आदतें बदल पाएंगे। 

यदि आपने कोई विडियो गेम खेला हो तो आप गौर कर पाएंगे की विडियो गेम मे आप चीजों को अच्छी तरह से कर पाते हैं।
विडियो गेम मे एक समय जो कार्य आपके लिए कठिन होते हैं वे धीरे धीरे आसान हो जाते हैं। विडियो गेम मे आपको बार बार वही काम दोहराने पड़ते हैं।  लेकिन फिर भी आप कभी उससे बोर नहीं पाते। विडियो गेम मे आप बार बार दिये गए कार्य को करने के लिए प्रेरित होते रहते हैं।

विडियो गेम बनाने वाले गेम को ऐसे बनाते हैं की उसे खेलने वाले का मोटीवेशन लेवल हमेशा ऊंचा रहता है। उसी प्रकार की यह वेबसाइट Habitica है, यह वेबसाइट गेम बनाने वालों के इस विचार को असली दुनिया मे लायी है।

मैं कई दिनों से इस एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा हूँ, और आपको सही बताऊँ तो यह एप्लिकेशन मेरे लिए अब सबसे महत्वपूर्ण एप्लिकेशन बन गयी है।

क्या आप भी आपके जीवन को एक विडियो गेम की तरह बदलना चाहते हैं ?

तो इस विडियो को जरूर देखिये


इस एप्लिकेशन को यहाँ से डाऊनलोड करिये

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Tuesday, November 21, 2017

राहुल गांधी के आलू को सोना बनाने वाले भाषण पर बन गया ये मजेदार गाना

अनुचर     1:11 PM  No comments


Tuesday, September 26, 2017

ओनेक ओबव्वा - साधारण सी स्त्री बन गयी साक्षात रणचंडी, जिसने दुश्मन की लाशों के ढेर लगा दिये

अनुचर     9:09 AM  No comments
अपने देश की मिट्टी मे वो ताक़त है की साधारण सा दिखाई देने वाला व्यक्ति भी महाबलशाली बन जाता है। ऐसे हजारों महाबली हमारे देश मे पैदा हुए, लेकिन उनमे से कइयों के नाम वक़्त के साथ खो गए। 
आज एक ऐसी साधारण स्त्री की वीरता को याद करेंगे, जो थी तो साधारण से शरीर की लेकिन उसका आत्मबल इतना ऊंचा था की उसने दुशमन के सैनिकों की लाशों के ढेर लगा दिये । 


मुसमिल आक्रांता हैदर अली की फौज ने चित्रदुर्ग के किले को चारों तरफ से घेर लिया था । हैदर अली की फौज किसी भी वक़्त हमला करना चाहती थी। उसके सैनिको के गले खून की प्यास से सूख रहे थे। 

लेकिन चित्रदुर्ग के शासक थे मद्करी नायक। चित्रदुर्ग की सेना भी किले की दीवारों के पीछे तैनात हो गयी। किले की प्राचीरों पर पहरेदार डट गए। इतनी जबर्दस्त किलेबंदी की हैदर अली किले पर हमला करने की जुर्रत नहीं कर पा रहा था। उसे समझ ही नहीं आ रहा थी की किस तरफ से हमला करूँ।

किले की एक प्राचीर पर एक पहरे दार का पहरा था। उसका नाम था कहले मुड्डा। कहले मुड्डा को उसकी पत्नी खाना खाने के लिए बुलाने आई।

उसका नाम था ओबव्वा

वो नीचे से चिल्लाई।

अजी सुनते हो ! खाना खालों आकर

वहीं नीचे चट्टानों के बीच मे बनी एक गुफा मे पहरेदार का घर था । पहरेदार को लेकर वो अपने घर चली आई। उसे थाली मे भोजन परोसकर पानी लेने उठी तो देखा घर मे पानी ही नहीं था। इतने मे ही ओबव्वा के पति ने पानी मांगा। ओबव्वा ने मटका उठाया और पानी लेने ऊंचे टीले पर चल पड़ी। ऊंचे टीले पर साल भर मीठा पानी रहता था।

लेकिन तभी एक गड़बड़ हो चुकी थी।

चट्टानों के बीच मे एक छोटी सी झिर्री बनी हुई थी

वो झिर्री इतनी चौड़ी थी की एक व्यक्ति मुश्किल से उसमे से निकल पाता था। ओबव्वा उसी झिर्री से निकालकर पानी भरने आई थी।

लेकिन ओबव्वा को किसी ने देख लिया था ।

हैदर अली ने ओबव्वा को झिर्री से निकालकर ऊपर जाते हुए देख लिया था । उसे किले मे घुसने का रास्ता मिल गया था।

उसने अपने सैनिकों को उस झीरी से होकर किले के अंदर घुसने का आदेश दिया । लेकिन उस झिरी की कम चौड़ाई के कारण एक एक करके ही अंदर घुसा जा सकता था ।

एक सैनिक उस झिरी से अंदर जाने का प्रयास करने लगा। जैसे ही उसका सिर झिरी के पार निकला ओबव्वा की नजर उस पर पड़ गयी।


टीले पर खड़ी ओबव्वा ने उस सैनिक का सर देख लिया था। ओबव्वा ने मटका फटका और घर की और दौड़ गयी। ओबव्वा ने घर मे रखा धान कूटने का मोटा डंडा उठा लिया। अपने पति जरा सी भी भनक नहीं लगने दी।

इस डंडे को ओनेक कहते हैं।

तब तक दुशमन का सैनिक झिर्री मे से आधा घुस चुका था। ओबव्वा दबे पाँव झिर्री के पास गयी। 
 

ओबव्वा ने अपने शरीर की पूरी शक्ति से सनिक के सर पे प्रहार कर दिया ।

सैनिक का सर तुरंत फट गया,

उसकी आत्मा तुरंत इस संसार को छोड़ गयी।


इससे पहले की दूसरा सैनिक अंदर घुस पाता, ओबव्वा ने मारे हुए सैनिक को एक तरफ घसीट के पटक दिया।

जैसे ही दूसरे सैनिक का माथा आया, उसके भी सर पर ओबव्वा ने जोरदार प्रहार कर दिया।

वो भी तुरंत मर गया

जैसे जैसे सैनिक अंदर घुस रहे थे, ओबव्वा उन्हे मारती जा रही थी।

उनकी लाशों को एक तरफ घसीट घसीट के पटकती जा रही थी।

वहाँ लाशों का ढेर लग गया था, वो रणचंडी बन चुकी थी, उसका चेहरा लाल हो गया था, लाशों के ढेर लग गए थे।

एक भी सैनिक अंदर आकर जिंदा नहीं बच सका।

वहाँ अगर कोई चीज चल रही थी, तो वो थी ओबव्वा की भुजाएँ और ओबव्वा का ओनेक।

इधर ओबव्वा का पति अपना भोजन समाप्त कर चुका था। पानी नहीं होने के कारण वो ओबव्वा को ढूंढता हुआ बाहर आया

बाहर का दृश्य देखकर उसकी भी आंखे फट गयी। वो अपनी पत्नी मे साक्षात रणचंडी को देख रहा था।

कभी लाशों के ढेर को देखता, कभी सनिकों के सर पर पढ़ते ओबव्वा के प्रहारों को देखता।

 
तभी ओबव्वा चिल्लाई


मुझे क्या देख रहे, ऊपर जाओ, तुरही बजाकर राजा को सावधान करो


पहरेदार तुरंत ऊपर भागा। उसकी तुरही ज़ोर ज़ोर से बजने लगी। जैसे ही तुरही गूंजी चित्रदुर्ग की सेना मोर्चे पर आ गयी

ऊपर पहरेदार तुरही बजा रहा था। नीचे ओबव्वा सब सैनिकों का उत्साह बढ़ा रही थी।


चित्रदुर्ग के सैनिक किले के बाहर खड़े हैदर अली की फौज से भिड़ गए।

ओबव्वा अभी भी वहीं खड़ी थी

तभी एक और मुस्लिम सैनिक झिर्री मे से निकला, वो दबे पाँव धीरे धीरे ,ओबव्वा के पीछे आया, वो ओबव्वा की पीठ पीछे ओबव्वा के नजदीक पहुंच गया।


ओबव्वा अभी तक असावधान थी।

रणचंडी का रूप धर लाशों के ढेर लगाने वाली ओबव्वा के पीछे दुष्ट आ खड़ा हुआ था। ओबव्वा चित्रदुर्ग के सैनिकों का उत्साह बढ़ा रही थी ।

दुष्ट उसकी पीठ मे तलवार मारना चाहत था।

और

बिना एक पल की भी देर किए, उस दुष्ट ने ओबव्वा की पीठ मे तलवार घोंप दी। गिरते गिरते भी ओबव्वा ने अपना ओनेक उस दुष्ट सैनिक के सर पर दे मारा।

उसका भी उसी समय सर फट गया


ऐसी शूरवीर थी ओबव्वा

आज भी आप चित्रदुर्ग के किले मे घूमने जाएँगे तो आपको वो झिर्री दिखाई देगी

उस झिर्री का नाम ओबव्वा कीण्डी रखा गया है

ओबव्वा के नाम से चित्रदुर्ग मे एक बहुत बड़ा स्टेडियम भी है




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