बहुचर्चित बोफोर्स तोप घोटाले से जुडे ओट्टावियो क्वात्रोच्चि का शनिवार को इटली के मिलान शहर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा।
गौरतलब है कि क्वात्रोच्चि इटली के मशहूर व्यापारी थे और मार्च 1986 में भारत और स्वीडन की कंपनी बोफोर्स के साथ 410-155 एमएम होवित्जर फील्ड तोपों के खरीद सौदे में कथित दलाली खाने के आरोपों में घिरे होने से विवादों में रहे।
बोफोर्स तोप खरीद घोटाले में बिचौलिये के रूप में रिश्वत के लेन देन में भारत मे उन पर आपराधिक मामले दर्ज थे। लेकिन सीबीआई उन्हें गिरफ्तार कर पाने में नाकाम रही।
285 मिलियन अमरीकी डॉलर के इस सोदे में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी आरोप लगे थे, जिस मुद्दे पर कांग्रेस को 1989 के लोकसभा चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ा था।
क्या था बोफोर्स मामला
सीबीआई ने 22 जनवरी 1990 में बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के आरोपों पर केस दर्ज किया था। इस मामले में एसके भटनागर,विन चड्ढा,क्वात्रोच्ची, मार्टिन,एबी बोफोर्स तथा हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गई।
सुनवाई के दौरान हिन्दुजा बंधु बरी कर दिए गए। केस ट्रायल के दौरान ही अन्य आरोपियों की भी मृत्यु हो गई। क्वात्रच्ची ही एकमात्र जीवित आरोपी बचे थे। लेकिन 1993 में भारत छोड़कर गए क्वात्रोच्ची कभी कोर्ट में पेश नहीं हुए।
इटली लौट गए क्वात्रोच्ची के कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया। तब सीबीआई ने इंटरपोल की मदद से उसके नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया। सीबीआई ने वर्ष 2002 में मलेशिया में तथा वर्ष 2007 में अर्जेटीना में क्वात्रोच्चि को प्रत्यार्पित करने की अपील की थी लेकिन वह सफल नहीं हो सकी थी।
वर्ष 2009 में दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को क्वात्रोच्चि के खिलाफ रिश्वत मामला वापिस लेने की अनुमति देते हुए उसे इस रिश्वत कांड से मुक्त कर दिया। वर्ष 2011 में दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को क्वात्रोच्चि के खिलाफ आपराधिक मामला बन्द करने की अनुमति दे दी थी क्यों कि सीबीआई ने अदालत में अपने हलफनामें में कहा था कि वह क्वात्रोच्चि को भारत प्रत्यार्पित कराने में नाकाम रही है।
गौरतलब है कि क्वात्रोच्चि इटली के मशहूर व्यापारी थे और मार्च 1986 में भारत और स्वीडन की कंपनी बोफोर्स के साथ 410-155 एमएम होवित्जर फील्ड तोपों के खरीद सौदे में कथित दलाली खाने के आरोपों में घिरे होने से विवादों में रहे।
बोफोर्स तोप खरीद घोटाले में बिचौलिये के रूप में रिश्वत के लेन देन में भारत मे उन पर आपराधिक मामले दर्ज थे। लेकिन सीबीआई उन्हें गिरफ्तार कर पाने में नाकाम रही।
285 मिलियन अमरीकी डॉलर के इस सोदे में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी आरोप लगे थे, जिस मुद्दे पर कांग्रेस को 1989 के लोकसभा चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ा था।
क्या था बोफोर्स मामला
सीबीआई ने 22 जनवरी 1990 में बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के आरोपों पर केस दर्ज किया था। इस मामले में एसके भटनागर,विन चड्ढा,क्वात्रोच्ची, मार्टिन,एबी बोफोर्स तथा हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गई।
सुनवाई के दौरान हिन्दुजा बंधु बरी कर दिए गए। केस ट्रायल के दौरान ही अन्य आरोपियों की भी मृत्यु हो गई। क्वात्रच्ची ही एकमात्र जीवित आरोपी बचे थे। लेकिन 1993 में भारत छोड़कर गए क्वात्रोच्ची कभी कोर्ट में पेश नहीं हुए।
इटली लौट गए क्वात्रोच्ची के कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया। तब सीबीआई ने इंटरपोल की मदद से उसके नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया। सीबीआई ने वर्ष 2002 में मलेशिया में तथा वर्ष 2007 में अर्जेटीना में क्वात्रोच्चि को प्रत्यार्पित करने की अपील की थी लेकिन वह सफल नहीं हो सकी थी।
वर्ष 2009 में दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को क्वात्रोच्चि के खिलाफ रिश्वत मामला वापिस लेने की अनुमति देते हुए उसे इस रिश्वत कांड से मुक्त कर दिया। वर्ष 2011 में दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को क्वात्रोच्चि के खिलाफ आपराधिक मामला बन्द करने की अनुमति दे दी थी क्यों कि सीबीआई ने अदालत में अपने हलफनामें में कहा था कि वह क्वात्रोच्चि को भारत प्रत्यार्पित कराने में नाकाम रही है।
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