गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां मामले में खुफिया ब्यूरो (आइबी) ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की पोल खोल दी है। सूत्रों के मुताबिक एनआइए ने गृह मंत्रालय को बताया है कि मुंबई हमले के आरोपी पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली ने अपने कबूलनामे में इशरत का नाम नहीं लिया था। लेकिन आइबी ने एनआइए के उस नोट को लीक कर दिया है, जिसमें हेडली ने इशरत को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बताया था। इस बीच जहां गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इशरत की असलियत पर कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया है, वहीं पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै भी अपने 2011 के बयान से पलट गए हैं। पद पर रहते हुए इशरत को लश्कर का आतंकी बताने वाले पिल्लई अब उसे संदेह का लाभ देने की बात कह रहे हैं। उधर, गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी ने सीबीआइ के सामने स्वीकार किया है कि तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम के कहने पर इशरत का हलफनामा बदला गया था।
ताजा घटनाक्रम में इशरत के आतंकी होने के बारे में हेडली के बयान को छुपाने की एनआइए की कोशिशों की आइबी ने हवा निकाल दी है। आइबी द्वारा लीक किए गए 13 अक्टूबर 2010 के एनआइए के नोट के अनुसार 2005 में लश्कर के ऑपरेशन हेड जकी-उर-रहमान लखवी ने हेडली को मुजामिल से मिलाया था। लखवी ने मुजामिल पर तंज कसते हुए था कि यह लश्कर-ए-तैयबा के बड़े कमांडर हैं, जिनके सारे ऑपरेशन फेल हो गए और इशरत जहां माड्यूल उनमें एक था। हालांकि अब एनआइए का कोई भी अधिकारी इस नोट के बारे में बोलने के लिए तैयार नहीं है। वहीं, शिंदे ने इशरत की असलियत के बारे में कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। शिंदे के अनुसार अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ और एनआइए के बीच करार के तहत हेडली के बयान को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। एक समाचार पत्र 'दैनिक जागरण' ने सोमवार को विस्तार से बताया था कि राजनीतिक मजबूरियों के कारण गृह मंत्रालय ने इशरत की असलियत पर कुछ भी नहीं बोलने का फैसला किया है। उधर, मंगलवार को गुवाहाटी में पिल्लै अपने पुराने बयान से पलट गए। इसके अनुसार इशरत के आतंकी होने का कोई ठोस सबूत नहीं है, लेकिन उसके साथ मारे गए तीन लोग लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित आतंकी थे और इशरत उनके साथ देश के कई भागों में गई थी। उन्होंने आशंका जताई कि तीनों कंट्टर आतंकी इशरत को कवर के रूप में उपयोग कर रहे होंगे। उन्होंने कहा कि इशरत के आतंकी होने की गहराई से जांच की जरूरत है और इसमें लश्कर-ए-तैयबा की अधिकृत वेबसाइट पर इन्हें शहीद बताने को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, जिसे तीन साल बाद हटा लिया गया था। गौरतलब है कि 2011 में गृह सचिव रहते हुए जीके पिल्लै ने इशरत और उसके साथियों को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी करार दिया था।
news source : दैनिक जागरण
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