देश की बदहाल आर्थिक स्थिति को ही मुद्दा बनाकर भाजपा अब चुनावी मैदान में उतरना चाहती है। यही कारण है कि संसद में प्रधानमंत्री को घेरने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से सरकार की शिकायत की। खुद प्रणब का बचाव किया और जल्द लोकसभा चुनाव कराने का आग्रह भी कर दिया। हालांकि, पार्टी को अहसास है कि सरकार तय समय से पहले चुनाव में जाने को तैयार नहीं है।
खाद्य सुरक्षा के बाद भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा से पारित कराकर जहां कांग्रेस चुनावी आधार तैयार करने में जुट गई है। वहीं, भाजपा चौतरफा गिर रही आर्थिक स्थिति के माहौल में पूरी सरकार को कठघरे में खड़ा करना चाहती है। खुद प्रधानमंत्री भी यह आश्वासन नहीं दे पाए कि तत्काल कोई सुधार होगा। लिहाजा, भाजपा सरकार को ज्यादा मौका दिए बिना ही लोकसभा चुनाव को मुफीद मान रही है।
शुक्रवार को प्रणब मुखर्जी से मिलकर लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, वेंकैया नायडू समेत कुछ अन्य नेताओं ने यही मांग की। मुलाकात के बाद आडवाणी ने कहा, 'मुझे पता है कि सरकार जल्द चुनाव नहीं कराएगी, लेकिन अगर राष्ट्रपति कोई प्रतिक्रिया देते हैं तो दबाव जरूर बनेगा।' उन्होंने जोड़ा कि प्रधानमंत्री आर्थिक सेहत सुधारने के बजाय विपक्ष की आलोचना करते हैं। उन्होंने राज्यसभा में जिस तरह का भाषण दिया वह दुखद है। भाजपा प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति को यह याद दिलाने से भी नहीं चूका कि वित्त मंत्री बदहाली का ठीकरा बतौर पूर्व वित्त मंत्री उन्हीं (प्रणब) पर फोड़ रहे हैं, तो पीएम चुप रहकर इसका परोक्ष समर्थन कर रहे हैं।
बात यहीं नहीं रुकी। रविशंकर ने पत्रकारों से बातचीत में प्रणब का बचाव करते हुए कहा कि किसानों को कर्ज माफी का फैसला वर्तमान वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के ही समय में किया गया था।
रविशंकर ने कहा कि देश को निराशा और अनिश्चितता के माहौल से चुनाव ही बाहर निकाल सकता है। वर्तमान सरकार आर्थिक और अन्य संकटों से ज्यादा विश्वास के संकट से जूझ रहा है। लिहाजा, जल्द चुनाव होने चाहिए। राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन में भाजपा ने आग्रह किया कि नवंबर में होने वाले तीन राज्यों के साथ ही लोकसभा चुनाव भी करा लिए जाएं। रविशंकर ने कहा कि अगर बीमार खुद को बीमार मानने के लिए ही तैयार नहीं है, तो फिर ठीक कैसे होगा। सरकार की स्थिति यही है।
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