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अब्दुल करीम टुंडा |
टुंडा को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शनिवार को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया था। टुंडा की गिरफ्तारी उस समय हुई, जब एक खाड़ी देश ने उसे अपने यहां से वापस भेज दिया। टुंडा पर देश में हुए 40 से ज्यादा बम विस्फोट मामलों की साजिश रचने का आरोप है।
70 वर्षीय टुंडा आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का कुशल बम निर्माता था। वर्ष 1996 में उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। टुंडा की गिरफ्तारी को एक बड़ी सफलता बताते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने कहा कि उससे पूछताछ में देश में लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों के बारे में पता चल सकेगा।
वर्ष 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकवादियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, टुंडा उनमें से एक था। इस सूची में लश्कर प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद और जैश-ए-मोहम्मद के अगुवाकार मौलाना अजहर मसूद अल्वी के नाम भी हैं।
सीबीआई ने करीम पर जम्मू-कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के बड़े हमले करने का आरोप लगाया है। इनमें मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, रोहतक और जालंधर में हुए 43 विस्फोट शामिल हैं, जिनमें 20 से अधिक लोगों की मौत हुई और 400 से ज्यादा घायल हो गए।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिखुआ के रहने वाले टुंडा ने 6 दिसंबर 1993 को इंटरसिटी ट्रेनों में भी विस्फोट किए, जिसमें दो लोग मारे गए थे। बम बनाने में निपुण होने के अलावा टुंडा की जम्मू-कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क का प्रचार प्रसार करने में अहम भूमिका रही। इस आतंकी संगठन से जुड़ने से पहले वह 1980 के दशक के शुरू में होमियोपैथी की एक दुकान चलाता था।
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