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नई दिल्ली।। 40 से ज्यादा आतंकी वारदात के लिए वॉन्टेड अब्दुल करीम टुंडा आखिरकार सलाखों के पीछे पहुंच ही गया। टुंडा पिछले करीब आठ साल से पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई की अनदेखी का शिकार होकर किसी तरह अपना वक्त काट रहा था। लश्कर के लिए 70 साल का टुंडा किसी काम का नहीं बचा था। ऐसे में वह लाहौर में इत्र बेचकर गुजारा कर रहा था।
बम बनाने में माहिर टुंडा की गिरफ्तारी की कहानी भी कम रोमांचक नहीं है। स्पेशल सेल को अब्दुल करीम टुंडा का सुराग आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस की जांच में डी कंपनी की फोन रेकॉर्डिंग से मिला। स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर ललित मोहन नेगी और हृदय भूषण की टीम को आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस की तहकीकात के दौरान बुकीज और फिक्सरों की फोन टैपिंग में दाउद इब्राहिम गिरोह के सदस्यों के फोन नंबर मिल गए थे। सीनियर पुलिस अफसर ने बताया कि इन नंबरों की कॉल डिटेल रेकॉर्ड में कई ऐसे नंबर भी मिले, जो भारतीय अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसी रॉ के रेडार पर भी थे। यह नंबर गैंगस्टरों के अलावा कई पाकिस्तानी आतंकवादियों के पास थे।
दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को यह गुप्त जानकारी दी। भारत सरकार ने दिल्ली पुलिस को रॉ और आईबी के साथ मिलकर इस बारे में आगे जांच जारी रखने के लिए हिदायत दी। रॉ और आईबी की मदद से स्पेशल सेल को कई आतंकवादियों का क्लू मिला। इनमें अब्दुल करीम टुंडा भी था। वह पाकिस्तानी आतंकवादियों के संपर्क में बने रहने की नाकाम कोशिश कर हताश हो चुका था।
पुलिस सू़त्रों ने बताया कि लश्कर के लिए 70 साल के अब्दुल करीम टुंडा की उपयोगिता खत्म हो चुकी थी। एक वक्त ऐसा भी आया, जब टुंडा को लाहौर के पास मुरीदके में लश्कर ए तैबा के मुख्यालय के पास इत्र बेचकर अपना गुजारा करना पड़ा था। इन नंबरों से स्पेशल सेल को पता चला कि टुंडा अपना आखिरी वक्त काटने के लिए भारत वापस आना चाहता है। यह भी पता चला कि टुंडा नेपाल के रास्ते भारत आएगा।
रॉ और आईबी ने नेपाल में अपने एजेंटों को टुंडा के बारे में ऐक्टिवेट किया। आखिरकार शुक्रवार को टुंडा गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि पुलिस का कहना है कि टुंडा अभी भी आतंक के रास्ते पर चलते हुए भारतीय युवकों को आतंकवाद की ओर प्रेरित करने आ रहा था, लेकिन पुलिस सूत्रों ने बताया कि टुंडा पाकिस्तान में अपनी अनदेखी से हताश होकर उसी भारत में शरण लेने आ रहा था, जहां उसने कई शहरों में बम धमाके कर दर्जनों हमवतनों की जानें ली थी।
टुंडा के इन्हीं कारनामों की वजह से 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार को जिन 20 मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों की लिस्ट दी थी, उनमें हाफिज सईद, मसूद अजहर और दाउद इब्राहिम के अलावा टुंडा का नाम भी था। पुलिस अफसरों के मुताबिक पाकिस्तान में टुंडा का आखिरी वक्त उन लोगों के लिए एक सबक है, जिन्हें पाकिस्तान अपने टेरर नेटवर्क में शामिल करने की जी-तोड़ कोशिश करता रहता है।
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