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लाल के खोने का दुख पर शहादत पर गर्व
शहीद विजय का गांव आनंदपुर ठेकहा अपने लाल के खोने से दुखी तो है लेकिन उसे इस बात का भी गर्व है कि उसकी माटी ने ऎसे सपूत को जन्म दिया जिसने देश के लिए बलिदान किया। बिहटा से लगभग नौ किलोमीटर दूर आनंदपुर ठेकहा एक ऎसा गांव है जहां गाड़ी तो दूर साइकिल से भी पहुंचना मुश्किल है।
शहीद विजय की पत्नी ने दस लाख की सहायता ठुकरा दी है, शहीद की पत्नी पुष्पा देवी ने सबसे पहले पाकिस्तान पर कार्रवाई करने की बात कही। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार केन्द्र पर ऎसा करने का दबाव बनाए। ऎसा न करने पर उसने आत्मदाह की धमकी दी है।
मंगलवार को दिन के ढाई बजे के बाद अचानक आए एक फोन ने आनंदपुर ठेकहा में खलबली मचा दी। विजय के शहीद होने की सूचना उनके किसी दोस्त ने दी थी। इसके बाद शहीद की मां इंजोरिया देवी और छोटा भाई अजय इसकी पुष्टि के लिए रोते-बिलखते दानापुर बीआरसी पहुंचे। लेकिन शाम तक उन्हें किसी भी अधिकारी ने कुछ नहीं बताया। दानापुर के सुल्तानपुर मुहल्ले में ही विजय की पत्नी पुष्पा देवी एक किराये के मकान में बच्चों के साथ रहती हैं।
जब परिजनों ने जमू में तैनात एक परिचित विनय से बात की तो उन्हें पूरी जानकारी मिली। पत्नी पुष्पा देवी, बहन लीलावती और मां दहाड़ मार कर रोने लगी। विजय का पांच वर्षीय लड़का विवेक छोटी बहन नेहा के साथ अंदर आने लगा। पास खड़े लोगों ने दोनें को गोद में उठा लिया।
शहादत पर घरवालों को फख्र
जम्मू-कश्मीर के पूंछ में तैनात फौजी शंभू शरण राय का अनाईठ वाले घर में दो दिनों से आने का इंतजार हो रहा था। मां कुसुद देवी, पिता वंशीधरराय और पत्नी सपना के साथ बेटे-बेटियां बेसब्री से शंभू की राह देख रहे थे। शंभू की छुट्टी भी मंजूर हो चुकी थी, पर भगवान को तो कुछ और ही मंजूर था। अब शंभू जिंदा तो नहीं आ सकता, पर उस जवान के पार्थिव शरीर के लिए यहां के लोग पलकें बिछाएं हैं। पलकों में आंसू है, पर सीने में फख्र।
बेटे को खोने का गम लिए जेल पुलिस में तैनात वंशीधर को गर्व है कि उनका एक बेटा मातृभूमि के काम आया। अन्य तीन बेटे भी आर्मी, एयर फोर्स व बीएमपी ज्वाइन कर देश सेवा कर रहे हैं। छोटा बेटा घर का काम देता है। शादी के बारह साल में ही पति को खोने का गम लिए सपना बार-बार बेहोश हो जारही हैं।
तीन बेटियों व एक बेटे को पएाने के लिए वो दानापुर कैंट के पास रहती है। सपना को मंगलवार की शाम अनाईठ लाया गया। अनाईठ में मातम पसरा हुआ है। घटना की जानकारी होते ही वंशीधर के घर पर लोगों की भीड़ लग गई। शंभू अपने घर-परिवार व परिचितों में अपनी दिलेरी और मधुर स्वभाव के लिए जाना जाता था।
सारण के दो लाल पुंछ में शहीद
सारण के दो लाल जमू के पुंछ में देश के लिए शहीद हो गए। इसकी सूचना परिजनों को मंगलवार को मिली तो शहीद के घरों समेत दोनों गांवों में कोहराम मच गया। 32 वर्षीय शहीद प्रेमनाथ सिंह जलालपुर प्रखंड के सहौता गांव के निवासी राज कुमार सिंह के बेटे थे, जबकि दूसरे शहीद एकमा थाना क्षेत्र के नवतन गांव का रघुनंदन प्रसाद उर्फ टिंकू हैं। शाम में जमू से सेना के अधिकारियों ने दोनों के शहीद होने की खबर परिजनों को दी।
अविवाहित जवान रघुनंदन के परिवार वालों की चीत्कार सुनकर गांव वालों की भीड़ जवान के घर पर जमा हो गई। रघुनंदन के पिता स्व. अशोक प्रसाद भी सेना में थे और उनकी मौत भी नौकरी में रहते हुए जौंडिस से हो गई थी। दोनों का पार्थिव शरीर बुधवार तक आने की सूचना मिली है। नवतन के मुखिया अरविंद सिंह ने बताया कि पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार डुमाईगढ़ घाट पर पूरे समान के साथ किया जाएगा।
शहीद प्रेमनाथ की पत्नी के अलावा एक बेटा व दो बेटियां हैं। परिजनों के अनुसार अगले दो साल में वे रिटायर होने वाले थे। खेल से अपना कैरियर शुरू करने वलो प्रेमनाथ जूनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी शिरकत कर चुके थे। वे 800 मीटर और 1500 मीटर की दौड़ में कई बार मेडल जीते थे। बाद में वे बिहार रेजीमेंट की 21वीं बटालियन में भर्ती हुए और देश की सुरक्षा में तैनात रहने लगे। चार भाईयों में सबसे बड़े प्रेमनाथ पुंछ में पाक सैनिकों की घुसपैठ में चार अन्य साथियों के साथ शहीद हो गए। शहीद के तीनों भाई खेतीबारी करते हैं, जबकि पिता राजकुमार सिंह हाल ही में रेलवे से रिटायर हुए हैं।
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