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चीनी सैनिक एक बार फिर भारतीय सीमा में घुसे। इस बार वे अरुणाचल प्रदेश के चागलागम इलाके में घुस आए और चार दिनों तक वहां रहे। इस का पता 13 अगस्त को चला।
वे 15 अगस्त को लौट गए। यह इलाका भारतीय भूभाग में 20 किलोमीटर से अधिक अंदर है। उधर, सीमा पर चीनी सेना का अतिक्रमण जारी रहने पर भारत ने चीन को आगाह किया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग होने से माहौल बिगड़ सकता है।
सेना मुख्यालय ने इस घुसपैठ को अधिक महत्व न देने की कोशिश करते हुए कहा कि चीनी सैनिक अपने इलाकों में वापस चले गए। मुख्यालय के अनुसार, ऐसी घटनाएं अक्सर हो जाती हैं क्योंकि विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त के दौरान दोनों पक्ष एक दूसरे के इलाकों पर अपना दावा करते हुए बढ़ जाते हैं।
सेना मुख्यालय ने इस घुसपैठ को अधिक महत्व न देने की कोशिश करते हुए कहा कि चीनी सैनिक अपने इलाकों में वापस चले गए। मुख्यालय के अनुसार, ऐसी घटनाएं अक्सर हो जाती हैं क्योंकि विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त के दौरान दोनों पक्ष एक दूसरे के इलाकों पर अपना दावा करते हुए बढ़ जाते हैं।
सूत्रों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के चागलगाम इलाके में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान भारतीय भूभाग के अंदर 20 किलोमीटर से अधिक अंदर आ गए थे। इसके बाद भारतीय जवानों ने उन्हें रोका। दोनों पक्षों ने एक दूसरे को इलाके से चले जाने के लिए एक दूसरे को बैनर दिखाए। उन्होंने बताया कि फिर दोनों पक्ष अपनी अपनी स्थिति पर आ गए और चीनी सैनिक दो-तीन दिन बाद चले गए।
सूत्रों के अनुसार, यह इलाका सेना की सेकंड डिवीजन के तहत आता है और मुद्दे के हल के लिए बल के उप कमांडर ने भी हस्तक्षेप किया। उन्होंने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए अर्द्धसैनिक बल भारत तिब्बत सीमा पुलिस भी इलाके में मौजूद है।
दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं से कहा कि हम कूटनीतिक प्रक्रियाओं में इस तरह की मामूली चीजों को तवज्जो नहीं देते। क्या हुआ या क्या नहीं हुआ, इसका जवाब हमारी सीमाओं पर मौजूद सैनिकों को देना है। उन्हें इस बारे में वास्तविक स्थिति पता है और मेरा मानना है कि उन्होंने इसका जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि सेना ने इस बारे में खंडन दे दिया है और हम इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते। उनसे पूछा गया था कि क्या भारत ने अरुणाचल में घुसपैठ के मामले को चीन के साथ उठाया है।
सूत्रों के अनुसार, यह इलाका सेना की सेकंड डिवीजन के तहत आता है और मुद्दे के हल के लिए बल के उप कमांडर ने भी हस्तक्षेप किया। उन्होंने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए अर्द्धसैनिक बल भारत तिब्बत सीमा पुलिस भी इलाके में मौजूद है।
दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं से कहा कि हम कूटनीतिक प्रक्रियाओं में इस तरह की मामूली चीजों को तवज्जो नहीं देते। क्या हुआ या क्या नहीं हुआ, इसका जवाब हमारी सीमाओं पर मौजूद सैनिकों को देना है। उन्हें इस बारे में वास्तविक स्थिति पता है और मेरा मानना है कि उन्होंने इसका जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि सेना ने इस बारे में खंडन दे दिया है और हम इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते। उनसे पूछा गया था कि क्या भारत ने अरुणाचल में घुसपैठ के मामले को चीन के साथ उठाया है।
अप्रैल में चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे और लद्दाख के देपसांग में उन्होंने अपने तंबू गाड़ लिए थे। वे तीन हफ्ते के गतिरोध और दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों के बीच बातचीत के कई दौर के बाद लौटे थे।
भारत ने पिछले दिनों वास्तविक नियंत्रण रेखा से करीब आठ किलोमीटर दूर दौलत बेग ओल्डी हवाईपट्टी पर अपने सी-130जे सुपर हर्क्युलिस मालवाहक विमान को उतार कर चीन को कड़ा संदेश दिया है।
अरुणाचल (पूर्व) के सांसद और केंद्रीय अल्पसंख्यक राज्य मंत्री निनोंग इरिंग ने कहा, ‘यह 1962 की पुनरावृत्ति नहीं है। शांतिपूर्ण स्थिति है और हम चाहते हैं कि यह बना रहे।’
अरुणाचल से भाजपा के पूर्व सांसद तापिर गाओ ने दावा किया कि करीब दो सौ चीनी सैनिकों ने चागलगम इलाके में प्रवेश किया था। इस इलाके में पहले भी चीनी सैनिकों ने लगातार घुसपैठ की है लेकिन वे हमेशा तुरंत लौट गए।
चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है, जिसे भारत ने खारिज कर दिया है।
उधर, बेजिंग में चीन में भारत के राजदून एस जयशंकर ने यहां भारत चीन संबंध पर आयोजित संगोष्ठी में इस बात पर जोर दिया कि सीमा पर किसी भी खलल का ‘लोगों की धारणा’ पर प्रतिकूल असर पड़ेगा जबकि यह द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए अहम है। ‘पुराने संबंध-नए मॉडल’ शीर्षक पर आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा, ‘आज की तारीख में, संघर्ष या टकराव पर असहज स्थिति पैदा होना निश्चित है। ऐसे में भारत और चीन के बीच विवादित सीमा पर शांति बनाए रखने पर बल दिया गया है।’
नई दिल्ली के आॅब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और चीन के एक विश्वविद्यालय ने 19 अगस्त को यह संगोष्ठी आयोजित की थी, जिसमें दोनों पक्षों के रणनीतिक विश्लेषकों ने हिस्सा लिया था। संगोष्ठी से मीडिया को दूर रखा गया था। बुधवार को जयशंकर के भाषण की प्रतियां मीडिया में वितरित की गई। जयशंकर ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री एके एंटनी का वह बयान याद दिलाया जिसमें उन्होंने सीमा पर शांति के महत्व पर बल दिया था।
इस साल अप्रैल में लद्दाख के पास दौलत बेग ओल्डी इलाके से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों की वापसी के लिए चीनियों के साथ गहन बातचीत करने वाले जयशंकर ने कहा कि इस बात की चिंता है कि यदि स्थायित्व और शांति में खलल डाला गया तो इससे हमारे संबंधों पर असर पड़ सकता है।
(भाषा)
इस साल अप्रैल में लद्दाख के पास दौलत बेग ओल्डी इलाके से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों की वापसी के लिए चीनियों के साथ गहन बातचीत करने वाले जयशंकर ने कहा कि इस बात की चिंता है कि यदि स्थायित्व और शांति में खलल डाला गया तो इससे हमारे संबंधों पर असर पड़ सकता है।
(भाषा)
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