16 दिसंबर के गैंगरेप के नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने हत्या और गैंगरेप के जुर्म में दोषी करार दिया. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को हत्या और गैंगरेप के जुर्म में महज तीन साल कैद की सजा सुनाई. नाबालिग पर रेप और हत्या का आरोप था, 11 जुलाई को कोर्ट ने इस आरोपी को लूटपाट का दोषी करार दिया था. नाबालिग पर लगे सभी आरोप सही पाए गए हैं.
बचाव पक्ष के वकील राजेश तिवारी ने कहा कि बोर्ड इस फैसले की फिर से समीक्षा करेगी और अगर उसे लगा तो सजा कम भी की जा सकती है. जिस दिन से उसे बाल सुधार गृह भेजा गया है, उसी दिन से सजा की शुरुआत मानी जाएगी.
पीड़िता की मां ने जताया अफसोस
वहीं इस फैसले से पीड़िता की मां काफी नाखुश हैं. उन्होंने कहा कि 3 साल की सजा देने से अच्छा इस नाबालिग आरोपी को छोड़ ही देते. उन्होंने कहा, 'जनता को गलत संदेश जा रहा है कि नाबालिग आरोपी को सजा नहीं मिलेगी चाहे वो किसी के साथ दरिंदगी करे या कुछ भी करे.'
वहीं इस फैसले से पीड़िता की मां काफी नाखुश हैं. उन्होंने कहा कि 3 साल की सजा देने से अच्छा इस नाबालिग आरोपी को छोड़ ही देते. उन्होंने कहा, 'जनता को गलत संदेश जा रहा है कि नाबालिग आरोपी को सजा नहीं मिलेगी चाहे वो किसी के साथ दरिंदगी करे या कुछ भी करे.'
पहले चार बार टल चुका था फैसला
नाबालिग आरोपी पर पुलिस ने हत्या और रेप की धाराएं लगाई थीं. पुलिस ने उसे सभी आरोपियों में सबसे 'जघन्य' अपराध का आरोपी माना है. हाई कोर्ट ने 22 अगस्त को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को फैसला सुनाने की इजाजत दे दी थी. 11 जुलाई से नाबालिग आरोपी पर फैसला चार बार टल चुका था. इसकी वजह वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका है, जिसमें 'नाबालिग' शब्द की उम्र सीमा घटाने 18 से घटाकर 16 करने की मांग की गई थी. लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया
नाबालिग आरोपी पर पुलिस ने हत्या और रेप की धाराएं लगाई थीं. पुलिस ने उसे सभी आरोपियों में सबसे 'जघन्य' अपराध का आरोपी माना है. हाई कोर्ट ने 22 अगस्त को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को फैसला सुनाने की इजाजत दे दी थी. 11 जुलाई से नाबालिग आरोपी पर फैसला चार बार टल चुका था. इसकी वजह वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका है, जिसमें 'नाबालिग' शब्द की उम्र सीमा घटाने 18 से घटाकर 16 करने की मांग की गई थी. लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया
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