राजस्थान के झालावाड़ में कालीसिंध नदी पर बांध की निर्माण लागत दो सौ अंठावन करोड़ रुपये होते हुए भी ओम मेटल इंफ्रास्ट्रक्चर को 457.21 करोड़ रुपये में ठेका देने के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फंस गए हैं। न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने पुलिस को गहलोत समेत सात लोगों के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है।
याची श्याम सिंह राठौड़ ने अदालत में एक परिवाद दायर कर अशोक गहलोत के अलावा सिंचाई विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता पीएल सोलंकी, एसएन सत्संगी और आरके निगम सहित ओम मेटल इंफ्रास्ट्रक्चर के निदेशक चंद्र प्रकार कोठारी, डीपी कोठारी और सुनील कोठारी पर कार्रवाई करने की मांग की थी। अर्जी में कहा गया कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 में कालीसिंध नदी पर बांध के निर्माण के लिए 267.74 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया और टेंडर मांगे। मुख्यमंत्री ने बिना किसी कारण 21 जुलाई, 2009 को तत्कालीन अफसरों से मिलकर पहले की शर्तो में बदलाव कर बजट बढ़ा दिया और नए टेंडर मांगे। बाद में बांध के निर्माण का टेंडर अनुमानित लागत से 200 करोड़ ज्यादा 457.21 करोड़ में ओम मेटल को दे दिया। कंपनी को बांध का निर्माण दो साल में पूरा करना था जो मुख्यमंत्री के प्रभाव के कारण अब तक नहीं हो पाया।
सरकारी खजाना लुटाने का आरोप
अशोक गहलोत सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सरकारी खजाने से किए जा रहे प्रचार-प्रसार को लेकर एक आरटीआइ कार्यकर्ता अशोक पाठक ने राष्ट्रपति, राज्यपाल और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को पत्र लिखकर शिकायत की है। पाठक ने कहा कि मुख्यमंत्री चुनाव से पहले स्वयं एवं पार्टी की छवि सुधारने के लिए सरकार खजाने से खर्चा कर रहे है। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इसी तरह का अपव्यय किया था, इस पर दिल्ली के लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार मानते हुए उनसे 11 करोड़ रुपये की राशि वसूलने का पत्र राष्ट्रपति को भेजा था।
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