ऑस्ट्रेलिया में अस्थायी वीजा पर आकर काम करने वाले ज्यादातर भारतीय श्रमिकों को शोषण का शिकार होना पड़ता है। उनका यह शोषण कोई और नहीं बल्कि ज्यादातर भारतीय मूल के नियोक्ता और मैनेजर ही करते हैं। एक नये अध्ययन में यह दावा किया गया है।
मैकक्वेरी यूनिवर्सिटी ने तीन साल तक अध्ययन करने के बाद पाया कि वीजा धारक भारतीय श्रमिकों को काम तलाशने और नौकरी मिलने के बाद कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया में 457 अस्थायी वर्क वीजा पर भारतीयों का अनिश्चित अनुभव शीर्षक से जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों के स्वामित्व वाले उद्योगों खासतौर से रेस्त्रांओं में इन श्रमिकों के प्रति सबसे ज्यादा अतिसंवेदनशीलता देखी गई। अध्ययन के अनुसार, ऐसे मामले में अपने व्यवहार को सही ठहराते हुए भारतीय नियोक्ताओं ने तर्क दिया कि इन श्रमिकों का इनके देश में भी ऐसे ही उपयोग किया जाता है। अध्ययन में पाया गया कि सप्ताहभर प्रतिदिन 18 घंटे तक काम कराना, ओवर टाइम का कोई भुगतान नहीं करना, असुरक्षित माहौल में काम का दबाव, बिना प्रशिक्षण वाले काम लेना और बीमार पड़ने पर पैसे काट लेना जैसी समस्याओं से श्रमिकों को जूझना पड़ा। श्रमिकों का सबसे ज्यादा शोषण वहां पर हुआ जहां के मालिक या मैनेजर भारतीय मूल के थे। ठीक से अंग्रेजी न आने के कारण वे मदद या सलाह लेने में भी असमर्थ रहे।
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