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Monday, September 2, 2013

मोइली ने PM से कहा, US की चिंता छोड़ ईरान से हाथ मिलाएं

Yugal     10:07 AM  No comments

आर्थिक संकट से निपटने के लिए क्या मनमोहन सिंह सरकार अपनी विदेश नीति पर फिर से विचार कर रही है? क्या भारत इस आर्थिक संकट से निकलने के लिए अमेरिका को ठेंगा दिखाने का माद्दा रखता है? ये सवाल आज की तारीख में इसलिए अहम हैं क्योंकि तेल मंत्री वीरप्पा मोइली फिलहाल बागी तेवर में दिख रहे हैं। तेल मंत्री ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को एक नोट भेजकर कहा है कि हमें ईरान से सस्ते कच्चे तेल का आयात करना चाहिए। ऐसा करने से हम फिलहाल 8.5 अरब डॉलर (57,000 करोड़) बचा सकते हैं। गौरतलब है कि ईरान पर परमाणु प्रोग्राम को लेकर कई तरह के प्रतिबंध लगे हैं। इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अमेरिका तक के प्रतिबंध शामिल हैं। अमेरिका लगातार भारत पर प्रेशर डालता रहा है कि वह ईरान से आयात किए जाने वाले कच्चे तेल पर लगाम लगाए। भारत को बेमन से ही सही लेकिन अमेरिका का प्रेशर मामना पड़ता है।

2012-13 में ईरान से क्रूड ऑइल के आयात में 26.5 पर्सेंट की गिरावट आई है। इस दौरान ईरान से भारत ने कच्चे तेल का आयात महज 13.1 मिलयन टन्स किया है, जबकि इससे पहले के साल में यह 18.1 मिलियन था। मोइली ने कहा कि 8.5 अरब डॉलर विदेशी करंसी बचाने के लिए ईरान से 11 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात और होने चाहिए। पिछले फिस्कल में भारत ने 144.29 अरब डॉलर तेल का आयात किया था। दूसरे तेल उत्पादक देशों की तरह ईरान को भारत डॉलर में नहीं बल्कि इंडियन करंसी रुपया में भुगतान करता है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि 2 मिलियन टन ज्यादा ईरान से कच्चे तेल का आयात हुआ था। हम 11 मिलियन टन इसमें अतिरिक्त जोड़ देते हैं तब 8.74 अरब डॉलर फॉरेन करंसी को रोकने में मदद मिलेगी। इंडिया कच्चे तेल के बदले ईरान को यूको बैंक कोलकाता की मदद से रुपए में भुगतान कर रहा है। ऐसा जुलाई 2011 से शुरू है। केंद्र सरकार पर प्रेशर है कि वह तेल आयात के खर्चों को कम करे, जो पिछले साल 144.2 अरब डॉलर था।

पेट्रोलियम मंत्रालय को भरोसा है कि वह खर्चों में कमी कर 20 अरब डॉलर तक बचा सकता है। वीरप्पा मोइली ने कहा कि जब भी डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में एक रुपए की गिरावट आती है, तेल आयात का ख़र्च 7900 करोड़ रुपए बढ़ जाता है। उन्होंने कहा, 'तेल कंपनियां डीजल पर प्रति लीटर 10 रुपए और केरोसीन तेल पर प्रति लीटर करीब 33 रुपए का नुकसान झेल रही हैं। तेल मंत्रालय का यह भी आकलन है कि मौजूदा स्तर पर तेल कंपनियों का नुकसान एक लाख 80 हजार करोड़ तक का हो जाएगा।

अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से पेमेंट के सभी रास्ते बंद होने पर भारत कोलकाता में यूको बैंक की ब्रांच में ईरान को रुपए में पेमेंट कर रहा है। दूसरे उपायों में सरकारी ऑइल कंपनियों का क्रूड इम्पोर्ट 10.59 करोड़ टन के साथ 2012-13 के लेवल पर बरकरार रखना है, जिससे 1.76 अरब डॉलर बचेंगे। मोइली ने बताया कि फ्यूल कंज्म्पशन ग्रोथ को पिछले साल के 4.1 फीसदी के लेवल पर बनाए रखने से और 2.5 अरब डॉलर बचाए जा सकेंगे।

सरकार रुपए में मजबूती लाने की कोशिश कर रही है। मोइली का यह प्लान इसी स्ट्रैटिजी का हिस्सा है। डॉलर के मुकाबले रुपया इस फाइनैंशल इयर में 23 फीसदी गिर चुका है। भारत ने 2012-13 में ईरान से 1.31 करोड़ टन क्रूड का इम्पोर्ट किया था। भारत जुलाई 2011 से क्रूड के बदले ईरान को 55 फीसदी पेमेंट यूरो में तुर्की के हॉकबैंक के जरिए कर रहा था। बाकी 45 फीसदी भुगतान ईरान की ऑइल कंपनी के कोलकाता में यूको बैंक ब्रांच में अकाउंट के जरिए रुपए में किया जा रहा था। तुर्की के जरिए यूरो में भुगतान पर इस वर्ष 6 फरवरी से रोक लगने के बाद अब ईरान को केवल रुपए में पेमेंट किया जा रहा है।

Yugal


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