दागी सांसदों और विधायकों को बचाने वाले अध्यादेश पर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की राय आने के पांच मिनट के भीतर ही कांग्रेस के सुर बदल गए।
राहुल गांधी के प्रेस क्लब में अचानक पहुंचने से पहले कांग्रेस अध्यादेश का जबरदस्त बचाव कर रही थी।
पार्टी महासचिव अजय माकन कह रहे थे कि सरकार ने सोच समझकर यह निर्णय लिया है। सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा दिया है। मगर राहुल ने आते ही अध्यादेश की धज्जियां उड़ा दी।
पार्टी उपाध्यक्ष के बयान से सकते आए माकन को भी आखिरकार राहुल की लाइन पकड़नी पड़ी। उन्होंने कहा कि राहुल का जो रुख है, वही पार्टी की भी राय है। यह अध्यादेश भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करता है।
शुक्रवार को कांग्रेस के सूचना और प्रचार विभाग के प्रमुख अजय माकन प्रेस क्लब में ‘प्रेस से मिलिए कार्यक्रम’ में शिरकत कर रहे थे।
दागियों को बचाने के अध्यादेश संबंधी सवालों के जवाब में माकन का कहना था कि सरकार ने सर्वदलीय बैठक में सभी दलों की राय ली थी। तब भाजपा भी इससे सहमत थी। अब वह पलट रही है। सरकार ने ठीक कदम उठाया है।
इसके बाद अचानक फोन आता है। माकन एक मिनट कहकर प्रेस कांफ्रेंस छोड़कर फोन सुनने जाते है। थोड़ी देर में आते है।
वे कहते है कि हम लोगों के लिए खुशी की बात है कि हमारे बीच थोड़ी देर में राहुल गांधी आ रहे हैं। करीब दस मिनट में राहुल प्रेस क्लब पहुंचते हैं।
राहुल कहते है कि उन्होंने माकन जी को फोन किया था। उन्होंने बताया कि वह पत्रकारों से बात कर रहे हैं।
मैंने पूछा कि क्या बात हो रही है तो उन्होंने बताया कि अध्यादेश के बारे में बात हो रही है। पत्रकार पार्टी का रुख पूछ रहे हैं। इसे लेकर सवाल किए जा रहे हैं।
उसके बाद राहुल ने अध्यादेश की धज्जियां उड़ा दी। देखते देखते कांफ्रेंस का माहौल ही बदल गया। करीब तीन मिनट में ही राहुल अपनी बात कहकर निकल गए।
उसके बाद राहुल की बातों को लेकर माकन को पत्रकारों के सवालों की बौछार का सामना करना पड़ा। मगर वह भी तुरंत पटल गए।
अध्यादेश पर राहुल की राय को ही पार्टी की राय बताया। यही नहीं, जिस समय राहुल बोल रहे थे। प्रेस क्लब के सड़क पार स्थित शास्त्री भवन में सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी और कार्मिक मंत्री अध्यादेश के फैसले को नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत बता रहे थे।
मगर राहुल के कहने बाद तिवारी, सामी, राजीव शुक्ल समेत कई मंत्रियों के सुर बदल गए। सब राहुल के सुर से सुर मिलाने लगे।
राहुल गांधी के प्रेस क्लब में अचानक पहुंचने से पहले कांग्रेस अध्यादेश का जबरदस्त बचाव कर रही थी।
पार्टी महासचिव अजय माकन कह रहे थे कि सरकार ने सोच समझकर यह निर्णय लिया है। सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा दिया है। मगर राहुल ने आते ही अध्यादेश की धज्जियां उड़ा दी।
पार्टी उपाध्यक्ष के बयान से सकते आए माकन को भी आखिरकार राहुल की लाइन पकड़नी पड़ी। उन्होंने कहा कि राहुल का जो रुख है, वही पार्टी की भी राय है। यह अध्यादेश भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करता है।
शुक्रवार को कांग्रेस के सूचना और प्रचार विभाग के प्रमुख अजय माकन प्रेस क्लब में ‘प्रेस से मिलिए कार्यक्रम’ में शिरकत कर रहे थे।
दागियों को बचाने के अध्यादेश संबंधी सवालों के जवाब में माकन का कहना था कि सरकार ने सर्वदलीय बैठक में सभी दलों की राय ली थी। तब भाजपा भी इससे सहमत थी। अब वह पलट रही है। सरकार ने ठीक कदम उठाया है।
इसके बाद अचानक फोन आता है। माकन एक मिनट कहकर प्रेस कांफ्रेंस छोड़कर फोन सुनने जाते है। थोड़ी देर में आते है।
वे कहते है कि हम लोगों के लिए खुशी की बात है कि हमारे बीच थोड़ी देर में राहुल गांधी आ रहे हैं। करीब दस मिनट में राहुल प्रेस क्लब पहुंचते हैं।
राहुल कहते है कि उन्होंने माकन जी को फोन किया था। उन्होंने बताया कि वह पत्रकारों से बात कर रहे हैं।
मैंने पूछा कि क्या बात हो रही है तो उन्होंने बताया कि अध्यादेश के बारे में बात हो रही है। पत्रकार पार्टी का रुख पूछ रहे हैं। इसे लेकर सवाल किए जा रहे हैं।
उसके बाद राहुल ने अध्यादेश की धज्जियां उड़ा दी। देखते देखते कांफ्रेंस का माहौल ही बदल गया। करीब तीन मिनट में ही राहुल अपनी बात कहकर निकल गए।
उसके बाद राहुल की बातों को लेकर माकन को पत्रकारों के सवालों की बौछार का सामना करना पड़ा। मगर वह भी तुरंत पटल गए।
अध्यादेश पर राहुल की राय को ही पार्टी की राय बताया। यही नहीं, जिस समय राहुल बोल रहे थे। प्रेस क्लब के सड़क पार स्थित शास्त्री भवन में सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी और कार्मिक मंत्री अध्यादेश के फैसले को नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत बता रहे थे।
मगर राहुल के कहने बाद तिवारी, सामी, राजीव शुक्ल समेत कई मंत्रियों के सुर बदल गए। सब राहुल के सुर से सुर मिलाने लगे।
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