मानव संसाधन मंत्रालय ने आखिरकार यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) के सदस्य पद से योगेंद्र यादव को बर्खास्त कर दिया।
योगेंद्र यादव को केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ‘आप’ से जुड़ने के कारण कुछ दिनों पहले ही मंत्रालय ने हटाने का नोटिस भेजा था।
नोटिस के जवाब में योगेंद्र यादव ने मानव संसाधन मंत्री पल्लम राजू को भेजे गये पत्र में जो तर्क दिये थे, मंत्रालय ने उसे खारिज करते हुए उन्हें पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया।
योगेंद्र यादव को यूजीसी सदस्य पद से हटाने के संबंध में मानव संसाधन मंत्री पल्लम राजू ने बुधवार को अपने कक्ष में एक बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा यूजीजी चेयरमैन वेदप्रकाश भी उपस्थित थे।
योगेंद्र यादव ने अपने पत्र में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा सोशलिस्ट पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद आचार्य नरेंद्र देव को दो विश्वविद्यालयों का कुलपति नियुक्त किए जाने का उदाहरण देते हुए कहा था कि शिक्षा संबंधी नीतियों में अलग-अलग राजनीतिक विचार धारा के बावजूद लोग काम करते रह सकते हैं।
मंत्रालय ने उनके इस तर्क को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उस समय तक यूजीसी एक्ट नहीं बना था। कानून बनने के बाद इस तरह के लोगों की नियुक्तियां नहीं हो सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन मंत्रालय के संयुक्त सचिव आरपी सिसौदिया ने योगेंद्र यादव को चार सितंबर को नोटिस भेजकर ‘आप’ पार्टी में सक्रिय भागीदारी के चलते एक हफ्ते में जवाब देने को कहा था।
योगेंद्र यादव ने पिछले हफ्ते सीधे पल्लम राजू को पत्र भेजकर अपना पक्ष रखा था किंतु उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने मंत्रालय के नोटिस को अनैतिक बताया था।
योगेंद्र यादव को केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ‘आप’ से जुड़ने के कारण कुछ दिनों पहले ही मंत्रालय ने हटाने का नोटिस भेजा था।
नोटिस के जवाब में योगेंद्र यादव ने मानव संसाधन मंत्री पल्लम राजू को भेजे गये पत्र में जो तर्क दिये थे, मंत्रालय ने उसे खारिज करते हुए उन्हें पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया।
योगेंद्र यादव को यूजीसी सदस्य पद से हटाने के संबंध में मानव संसाधन मंत्री पल्लम राजू ने बुधवार को अपने कक्ष में एक बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा यूजीजी चेयरमैन वेदप्रकाश भी उपस्थित थे।
योगेंद्र यादव ने अपने पत्र में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा सोशलिस्ट पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद आचार्य नरेंद्र देव को दो विश्वविद्यालयों का कुलपति नियुक्त किए जाने का उदाहरण देते हुए कहा था कि शिक्षा संबंधी नीतियों में अलग-अलग राजनीतिक विचार धारा के बावजूद लोग काम करते रह सकते हैं।
मंत्रालय ने उनके इस तर्क को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उस समय तक यूजीसी एक्ट नहीं बना था। कानून बनने के बाद इस तरह के लोगों की नियुक्तियां नहीं हो सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन मंत्रालय के संयुक्त सचिव आरपी सिसौदिया ने योगेंद्र यादव को चार सितंबर को नोटिस भेजकर ‘आप’ पार्टी में सक्रिय भागीदारी के चलते एक हफ्ते में जवाब देने को कहा था।
योगेंद्र यादव ने पिछले हफ्ते सीधे पल्लम राजू को पत्र भेजकर अपना पक्ष रखा था किंतु उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने मंत्रालय के नोटिस को अनैतिक बताया था।
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