एडीजी लॉ एंड ऑर्डर मुकुल गोयल ने कहा है कि दंगा न हो, इसकी कोई गारंटी नहीं ले सकता है। सिर्फ दंगे रोकने की कोशिश की जा सकती है। हर एसओ और सिपाही की भी गारंटी नहीं ली जा सकती है। हालांकि पुलिस-प्रशासन को निष्पक्ष होना चाहिए। यही मूल मंत्र है। एडीजी बनने के बाद पहली बार गोयल मंगलवार को कानपुर पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि त्योहारों के सीजन, प्रस्तावित राजनीतिक रैलियों और क्रिकेट मैच को देखते हुए कानपुर में ज्यादा मेहनत की जरूरत पड़ेगी। कानपुर में रैली की परमिशन के लिए लोकल पुलिस के पास लेटर आया है। इसके लिए व्यवस्था की जाएगी। यहां का अल्ट्रा मॉडर्न कंट्रोल रूम लगभग तैयार है। कुछ कमियों के बारे में लखनऊ में विचार-विमर्श किया जाएगा। वहीं मेरठ के बारे में एडीजी ने कहा कि पाबंदी के बावजूद लोग वहां गन्ने के खेतों से निकलकर आए। कानून-व्यवस्था संभालना लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी है। कई बार कुछ मामलों में लचीलापन भी दिखाना पड़ता है। संवेदनशील इलाकों में दंगा स्कीम पर अमल किया जाएगा। सोशल साइट्स भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। मुजफ्फरनगर में पुलिस अफसरों के जल्दी ट्रांसफर के सवाल पर एडीजी ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। सिर्फ 1 अफसर को हटाया गया था, जबकि दूसरे बीमार हो गए थे। उनका ट्रांसफर नहीं किया गया था। मुजफ्फरनगर का दंगा दुभाग्यपूर्ण था।
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