अभी सिर्फ 14 साल की है निशु कुमारी। 10वीं में पढ़ती है। लेकिन, दिमाग परिपक्व वैज्ञानिकों जैसा। ऐसा कि जापान ने भी लोहा माना। इसीलिए बुलावा भेजा है कि आकर अपनी तकनीक समझाए। आदित्यपुर बंतानगर की झोपड़पट्टी में रहते हुए निशु ने पवन ऊर्जा से कूलर चलाने की तकनीक विकसित की है। अब वह देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से साकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत टेक्नोलॉजी में सबसे आगे माने जाने वाले देश जापान भेजी जा रही है। विभाग ने सरायकेला उपायुक्त चंद्र शेखर को पत्र भेजा है। इसमें निशु को नौ मई को जापान भेजने के लिए लिखा है।
निशु जापान में विश्वस्तरीय विज्ञान शैक्षणिक कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों के सामने अपनी टेक्नोलॉजी प्रदर्शित करेगी। एक कंपनी में मजदूर (प्रशिक्षित) निशु के पिता अखिलेश प्रसाद ने कहा कि सपने में भी नहीं सोचा था, बेटी जापान जाएगी। हम तो बेटी को शिक्षित करना चाहते थे। अब समझ में आता है कि हर बेटी का शिक्षित होनी चाहिए। निशु ने कहा कि वह 16 से होने वाली मैट्रिक परीक्षा की तैयारी में जुटी है।
ऐसी है निशु की टेक्नोलॉजी
छत या किसी ऊंचे स्थान पर हवा से चलने वाला एक पंखा (विंड टर्बाइन) लगाया जाता है। यह बांस की बॉडी से बने कूलर से कनेक्टेड होता है। हवा चलने पर जिस गति से टर्बाइन चलता है, उसी अनुरूप कूलर चलता है। सामान्य कूलर की तरह इसमें भी पानी सर्कुलेट होने से इससे ठंडी हवा निकलती है। निशु ने स्कूल की विज्ञान प्रदर्शनी में मॉडल पेश किया था।
ये अवॉर्ड जीते
- 8 अक्टूबर 2014 को दिल्ली में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की विज्ञान प्रदर्शनी प्रतियोगिता जीती।
- 2014-15 में राज्य इंस्पायर अवार्ड विज्ञान प्रदर्शनी एवं क्षेत्र स्तरीय प्रतियोगिता में भी प्रथम स्थान मिला।
- निशु को तकनीक के लिए उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पुरस्कृत किया।
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