‘मांसाहार पाबंदी कांग्रेस का फैसला’
पिछले हफ्ते वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने तीन फैसलों को
लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खुला पत्र लिखा था।
फडणवीस ने पत्र में उठाए मुद्दों को गलत बताते हुए उसका कुछ इस
प्रकार जवाब दिया है :
प्रिय राजदीप,
आम तौर पर मैं वरिष्ठ पत्रकारों के सार्वजनिक पत्रों का जवाब नहीं
देता, लेकिन आपका पत्र पढ़ने के बाद सोचा कि अगर जवाब नहीं दिया
तो गोबल्स नीति सफल हो सकती है। आपका पत्र यानी सही जानकारी
न लेकर सरकार को फटकारने की शानदार मिसाल है।
आपने मुझे 2010 में देखा है ऐसा कहा है पर मैं तो आपको
2000 से देख और सुन रहा हूं। एक साहसी पत्रकार कालांतर में निजी
एजेंडे और विशिष्ट वैचारिक निष्ठा से अभिभूत होकर किस तरह बेहद
पक्षपाती हो सकता है यह देखना वेदनापूर्ण है। राज्य सरकार के नाम पर
कई अच्छे कामों की मुहर लगने के बावजुद आप अपनी मर्जी से तीन
मुद्दे चुनकर सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करना चाहते हैं। पर
मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पिछली सरकार के गलत व भ्रष्ट कामों
के बारे में ठोस भूमिका अपनाने के संकल्प से मैं जरा भी विचलित नहीं
हुआ हूं। इसका अनुभव आपको राज्य भ्रष्टाचार प्रतिबंधक ब्यूरो की
ओर से की जा रही कई मामलों की जांच से आसानी से मिल सकता है।
मांसाहार पर पाबंदी लगाने के बारे में मेरी सरकार ने कोई फैसला
नहीं लिया। इस बारे में मेरे कार्यकाल से एक भी नया आदेश नहीं
दिया गया। 2004 में कांग्रेस सरकार ने पर्यूषण पर्व के दौरान दो दिन
कत्लखाने बंद रखने का फैसला किया था। मुंबई को लेकर ऐसे निर्णय
पर 1994 से अमल किया जा रहा है। आश्चर्य है कि हमारे सत्ता में
आने से पहले आप में से किसी ने आपत्ति नहीं जताई। यानी पहले
की सरकार कितनी भी भ्रष्ट व अकार्यक्षम रही हो, उसकी ढोंगी एवं
कथित धर्मनिरपेक्षता आपके विचारों से मेल खाती थी, इसलिए आपको
आक्षेप नहीं था।
श्री राकेश मारिया के मामले में आप भ्रमित लगते हैं, इसीलिए दोनों
तरह की बातें कह रहे हैं। पत्र के अंत में आपने लिखा, ‘चटपटी खबरों
के पीछे पड़ा मीडिया भी उतना ही दोषी है। क्रूर हत्या के मामलों में उन्हें
दिलचस्पी होती है, जबकी किसानों की मौत का जिक्र भी नहीं किया
जाता।’ अब आप ही मुझे बताइए कि आप भी इसी कत्ल के मामले का
संबंध पुलिस कमिश्नर के तबादले से कैसे लगा रहे हैं? पुलिस प्रमुख
जांच अधिकारी नहीं होता। वह हमेशा नियंत्रक की भूमिका निभाता है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को उनकी तरक्की की तय तारीख से
पहले उच्च पद पर नियुक्त करना नई बात नहीं है। सितंबर और अक्तूबर
गणेश चतुर्दशी, बकरी ईद व नवरात्रि के होते हैं। त्योहार शुरू होने से
पहले ही नया अधिकारी आए तो उसे सुरक्षा संबंधी योजनाएं बनाने के
लिए समय मिलता है। योग्य फैसला करने का काम सरकार पर सौंप
देना चाहिए ।
राज्य को अकालमुक्त करने के लिए चलाई जा रही जलयुक्त
शिवार योजना का जिक्र करते हुए आपको कितना कष्ट हुआ। यह
योजना बेहद सफल रही है। राज्य की जनता ने बेहद उदारता से 300
करोड़ रुपए का योगदान इसमें दिया है। इससे 6 हजार गांवों में तकरीबन
एक लाख काम हम छह महीनों में पूरे कर सके। अब थोड़ी-सी बारिश
में भी गांवों में पानी का विकेंद्रीत जलसंचय उपलब्ध है। साथ ही
जलस्तर भी बढ़ गया है। भारत के जलपुरुष राजेंद्र सिंहजी ने स्टाकहोम
की अंतरराष्ट्रीय जल परिषद में इसे एेतिहासिक मोड़ देने वाला प्रयोग
घोषित किया है।
बुरा लगता है कि अपनी थाली में दो दिन मांसाहारी पदार्थ नहीं होंगे,
यह सोचकर ही आप जैसे लोग बेचैन हो जाते हैं। दूसरी तरफ हमारा
अन्नदाता किसान कुदरती प्रकोपों के कारण जिंदा रहने के लिए तड़प
रहा है। श्रीमान सरदेसाई, मुझे आपसे ज्यादा किसान की थाली की चिंता
है, इसीलिए राज्य सरकार ने 60 लाख किसानों को दो रुपए किलो गेहूं
और तीन रुपए किलो चावल वितरित करने वाली अन्न सुरक्षा योजना
तैयार की है। पिछले 15 साल के कुशासन व किसान आत्महत्या की यह
विरासत हमारे लिए वास्तव में चुनौती है। इस कारण हमें नींद भी नहीं
आती, लेकिन हमारी सरकार की ओर से शुरू की गई कुछ योजनाएं
निश्चित रूप से अच्छे परिणाम सामने लाएंगी इसका मुझे भरोसा है।
आपको अगर इसमें रुचि हो तो आइए और देखिए।
एक बात तो सच है कि मांसाहार बंदी हो या न हो, सामान्य जनता
को इतनी ही आशा होती है कि उसकी थाली में रोटी या चावल होना
चाहिए। मुझे इसी बात की ज्यादा चिंता है। आप अपनी थाली में क्या
खा रहे हैं यह देखने के लिए मेरे पास समय नहीं है और न मैं उस बारे
में चिंतित हूं। एअरकंडीशन्ड कमरों में बैठने वालों के लिए किसानों की
चिंता के अलावा बाकी एजेंडे हो सकते हैं। श्रीमान सरदेसाई, आपके
पत्र का ब्योरा आपके व्यावसायिक काम का हिस्सा हो सकता है, पर
यह जवाब मेरी ओर से शुरू किए गए अभियान का हिस्सा है और मैं
उसे पूरा किए बिना चैन से नहीं बैठूंगा। करो या मरो, यही मेरे जीवन
का मंत्र है और आने वाला समय ही मेरा भाग्य तय करेगा।
किसी भी तरह की द्वेषभावना के बिना,
आपका नम्र,
देवेंद्र फडणवीस
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