बांसवाड़ा के एमजी अस्पताल मे बदले नवजात, बेटी की मां ने
कहा-बेटा जन्मा, इसको तो दूध भी नहीं पिलाऊंगी।
सुबह जन्मी बेटी को रात 12 बजे तक अपनी मां का दूध भी नसीब नहीं हुआ, अस्पताल ने गलती स्वीकारी, आज सरपंच के आने पर होगा फैसला
शहर के सरकारी महात्मा गांधी
अस्पताल में दो नवजात आपस में
बदल गए। डॉक्टरों को जब इसका
अहसास हुआ तो तत्काल गलती को
सुधार भी दिया है। इसके बाद बेटी
को कोई अपनाने को तैयार नहीं।
जिस महिला ने बेटी जन्मी, उसे एक बार कुछ समय के लिए बेटा मिल गया। इस कारण अब उसने अपनी बेटी की दूध पिलाने तक से इनकार कर दिया है।
सुबह 10.32 बजे बेटी
हुई है, तब से रात्रि 12 बजे तक
उसने अपनी मां के आंचल का दूध
नहीं पिया है। इधर, परिजनों ने कहा
है कि गुरुवार को सरपंच को बुलाया
है, तभी बेटी के बारे में फैसला होगा।
सज्जनगढ़ क्षेत्र में मियापाड़ा
निवासी नीरा (26) पत्नी करण
और सांदली निवासी (24) सीता
पत्नी भाणजी को भर्ती कराया गया।
दोनों के सिजेरियन ऑपरेशन के
जरिए बच्चे हुए। नीरा को ऑपरेशन
डॉ. फूलचंद यादव ने किया। सीता
का ऑपरेशन डॉ. जयश्री हुमड़ ने
किया। बुधवार सुबह 11.00 बजे
उस समय हंगामा कर हो गया, जब
सीता के परिजनों ने यह कहते हुए
हंगामा कर दिया कि उनकी बहू ने
बेटा जन्मा था। बाद में अस्पताल
वालों ने छीनकर बेटी दे दी है। वहीं,
नीरा के परिजनों को पहले बेटी दी
गई थी, बाद में बदलकर बेटा दे
दिया गया।
सीता ने बताया कि उसने बेटा जन्मा था। ऑपरेशन के बाद उसके परिजनों को बेटा ही दिया था। बाद में उसकी मां जेमा से बेटा छीनकर बेटी दे दी है। सीता ने कहा कि बेटी मेरी है ही नहीं है तो मैं दूध क्यों पिलाऊं। मैं इसे दूध नहीं पिलाऊंगी। सीता के परिजन गजेंद्र ने कहा कि गुरुवार को गांव के सरपंच को बुलाया है, तभी कोई निर्णय होगा। तब तक परिजन बच्ची को नहीं अपनाएंगे।नीरा के परिजनों ने कहा कि उनकी बहू ने बेटा जन्मा है, अभी उनके पास बेटा है। उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। हां, पहले बेटी दी थी। इसे अस्पताल वालों ने वापस ले लिया है। साथ ही कहा कि जिनके बेटी हुई, वे फालतू में झगड़ा कर रहे हैं।
यह हुआ था अस्पताल में : ऑपरेशन थियेटर में किसी भी बाहरी व्यक्ति को
जाने नहीं दिया जाता है। यशोदा को भी अंदर प्रवेश नहीं दिया जाता है। जब भी कोई बच्चा
होता है तो उसे चतुर्थश्रेणी कर्मचारी बाहर लाकर देता है। यहां पर यशोदा बच्चे को लेकर
एंट्री करती है और परिजनों के सुपुर्द करती है। बुधवार को कर्मचारी बेटा लेकर आया और
उसने सीता काे बेटा बता दिया। यशोदा जयश्री आचार्य ने सीता के परिजनों को बेटा दे दिया
और तमाम दस्तावेज में इसकी एंट्री भी कर दी। इसके बाद बेटी को कर्मचारी बाहर लाया
तो उसको नीरा के परिजनों को दे दिया गया।
ऑपरेशन के बाद डॉक्टर
को संबंधित रोगी के
दस्तावेजों पर एक नोट
डालना होता है। यही नोट
डालने के लिए जब डॉ.
फूलचंद यादव आए तो
उन्होंने दस्तावेज देखते
ही नर्सिंग स्टाफ को
डांटना शुरू कर दिया
कि तुमने गलत एंट्री क्यों
की। उन्होंने स्टाफ को
कहा कि उन्होंने जिसका
ऑपरेशन किया है, उसके
मेल चाइल्ड था, पर्ची
पर फीमेल किसने कर
दिया। जब डॉ. हूमड़ से
पूछा गया तो उन्होंने कहा
कि उन्होंने जो डिलेवरी
कराई, उसमें फीमेल
चाइल्ड था।
चतुर्थश्रेणी कर्मी की गलती
दोनों बच्चों की एंट्री यशोदा जयश्री
आचार्य ने की है। आचार्य ने बताया कि
कर्मचारी ने जो बच्चा जिसका बताया,
उसको देकर एंट्री कर दी थी। इसमें
मेरी कोई गलती नहीं है। हम ओटी में
जा ही नहीं सकते तो हमको कैसे पता
चलेगा कि किसके कौन-सा बच्चा
हुआ है। मुझे गलत फंसाया जा रहा है।
बाद में बच्चे बदले गए हैं। इसकी एंट्री
भी की गई है।
गलती हुई थी। मेरे ओटी से बाहर आने पर पता चल गया था। इस कारण तत्काल इसमें सुधार कर दिया गया। परिजनों को भी समझा दिया था। मैंने जो डिलेवरी कराई, उसके बेटा हुआ था। डॉ. हुमड़ की डिलेवरी में फीमेल चाइल्ड था। -डॉ. फूलचंद यादव
बच्चे बदल गए थे, कुछ मिनट में ही सही परिजनों को उनके बच्चे दे दिए गए। फीमेल चाइल्ड की मां, बच्चे को दूध नहीं पिला रही है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। इसके बाद भी मामले की जांच कराई जाएगी। - डॉ. दीपक नेमा, पीएमओ
दोनों को 3-3 बेटियां : इस केस में
खास बात यह है कि जब हमने पता
कि आखिर बेटी काे दुत्कारा क्यों जा
रहा है तो पता चला कि नीरा आैर सीता
3-3 बेटियों की मां हैं। दोनों ने नसबंदी
भी आज ही कराई है। सीता के परिजनों
ने यहां तक कह दिया कि उन्होंने कई
जगह मन्नत मांगी, तब बेटा हुअा।
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