छद्म धर्मनिरपेक्षता को समाप्त करने की जरूरत है, बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने साहित्य आकदमी के लेखकों के दोहरे मापदंड पर सवाल उठाया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये एक इंटरव्यू मे नसरीन ने कहा की उनकी पुस्तक को पश्चिम बंगाल मे प्रतिबंधित कर दिया गया, उनके खिलाफ पाँच बार फतवे निकाले गए, लेकिन उस समय ज़्यादातर लेखक खामोशी ओढ़कर सौ रहे थे। किसी ने प्रतीकार नहीं किया, किसी ने कोई पुरस्कार नहीं लौटाया। और तो और कई लेखक तो उस समय के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से उनकी पुस्तक पर प्रतिबंध लगवाने के लिए चले गए।
"आज लेखकों ने अन्याय के खिलाफ पुरस्कार लौटाने का निर्णय लिया है तो वे कुछ गलत नहीं मानती। किसी कोई विरोध करने का कोई आइडिया आ जाता है तो वो कर लेता है और बाकी के लोग उसका अनुसरण करने लगते हैं। लेकिन ये लेखक दोहरे मापदण्ड अपनाने के दोषी हैं।
जब नसरीन से "भारत मे धर्मनिरपेक्षता" पर उनके विचार पुछे गए तो उन्होने कहा "ज़्यादातर धर्मनिरपेक्ष लोग हिन्दू विरोधी हैं"
"ज़्यादातर धर्मनिरपेक्ष लोग मुस्लिम समर्थक हैं और हिन्दू विरोधी हैं। वे हिंदू कट्टरपंथियों के कृत्यों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हैं और मुस्लिम कट्टरपंथियों के जघन्य कृत्यों का बचाव करते हैं। राजनेता वोट के लिए मुसलमानों को खुश करते हैं। यह बात कई हिंदुओं को गुस्सा दिलाती है। पश्चिम बंगाल में एक हिंदू गांव, 2013 में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा जला दिया गया। अगर मुसलमानों को भारत में बेरहमी से सताया गया होता तो वे अभी तक भारत छोडकर पड़ोसी मुस्लिम देशों मे पलायन कर गए होते जैसा की बांग्लादेश और पाकिस्तान के बँटवारे के समय हिन्दू अल्पसंख्यक भारत मे आए थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये एक इंटरव्यू मे नसरीन ने कहा की उनकी पुस्तक को पश्चिम बंगाल मे प्रतिबंधित कर दिया गया, उनके खिलाफ पाँच बार फतवे निकाले गए, लेकिन उस समय ज़्यादातर लेखक खामोशी ओढ़कर सौ रहे थे। किसी ने प्रतीकार नहीं किया, किसी ने कोई पुरस्कार नहीं लौटाया। और तो और कई लेखक तो उस समय के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से उनकी पुस्तक पर प्रतिबंध लगवाने के लिए चले गए।
"आज लेखकों ने अन्याय के खिलाफ पुरस्कार लौटाने का निर्णय लिया है तो वे कुछ गलत नहीं मानती। किसी कोई विरोध करने का कोई आइडिया आ जाता है तो वो कर लेता है और बाकी के लोग उसका अनुसरण करने लगते हैं। लेकिन ये लेखक दोहरे मापदण्ड अपनाने के दोषी हैं।
जब नसरीन से "भारत मे धर्मनिरपेक्षता" पर उनके विचार पुछे गए तो उन्होने कहा "ज़्यादातर धर्मनिरपेक्ष लोग हिन्दू विरोधी हैं"
"ज़्यादातर धर्मनिरपेक्ष लोग मुस्लिम समर्थक हैं और हिन्दू विरोधी हैं। वे हिंदू कट्टरपंथियों के कृत्यों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हैं और मुस्लिम कट्टरपंथियों के जघन्य कृत्यों का बचाव करते हैं। राजनेता वोट के लिए मुसलमानों को खुश करते हैं। यह बात कई हिंदुओं को गुस्सा दिलाती है। पश्चिम बंगाल में एक हिंदू गांव, 2013 में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा जला दिया गया। अगर मुसलमानों को भारत में बेरहमी से सताया गया होता तो वे अभी तक भारत छोडकर पड़ोसी मुस्लिम देशों मे पलायन कर गए होते जैसा की बांग्लादेश और पाकिस्तान के बँटवारे के समय हिन्दू अल्पसंख्यक भारत मे आए थे।
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