कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस की तरफ झुकाव रखने वाले देश के 150 युवकों पर खुफिया एजेंसियों की पैनी नजर है।खुफिया एजेंसियों की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि 150 युवक निगरानी में है और ज्यादातर दक्षिण भारत के हैं।
अब तक कुल 23 भारतीय आईएस की पकड़ वाले इराक-सीरिया में इस आतंकी संगठन की लड़ाई में शामिल होने जा चुके हैं। इनमें से 6 मारे गए और एक वापस मुंबई आ गया है। खुफिया एजेंसियोंं के मुताबिक इनमें से ज्यादातर लोग आईएस की गतिविधियों से ऑनलाइन रेग्युलर संपर्क में रहते हैं। इस लिहाज में हमने सभी को सुरक्षा बलों के जरिए निगरानी में रखा है।
आतंकवादी संगठनों से लड़ने के लिए अब तक कुल 23 भारतीय इराक-सीरिया में आईएसआईएस के कब्जे वाले इलाकों में गए हैं। उनमें से छह मारे गए जबकि एक मुंबई स्थित अपने घर लौट आया।
आईएसआईएस तत्वों ने जिन 30 अन्य भारतीयों को कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया है उन्हें भी मध्य पूर्व के संघर्ष वाले क्षेत्रों में जाने से रोक दिया गया है।
आईएसआईएस से फिलहाल लड़ने वालों में मुंबई के बाहरी इलाके कल्याण से दो युवक, ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला एक कश्मीरी, तेलंगाना से एक लड़का, एक कर्नाटक से, एक ओमान आधारित भारतीय और एक सिंगापुर आधारित भारतीय शामिल है।
यूएई ने इसी माह 37 साल की एक महिला आफ्शा जबीन उर्फ निक्की जोसेफ को भी वापस भेज दिया था। इस महिला पर आरोप है कि वह आईएस के लिए युवाओं को भर्ती करने का काम संभालती है।
गृहमंत्रालय ने कहा कि आईएस भारत में अपनी मौजूदगी स्थापित करने में सक्षम नहीं है लेकिन वह युवाओं को प्रभावित कर अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। मंत्रालय ने कहा कि प्रवासी भारतीयों और कुछ खास सेक्शन की स्थानीय आबादी को यह संगठन अपनी गतिविधियों में शामिल करने में लगा है। गृहमंत्रालय ने आशंका जताई है कि आईएस भारत में प्रायोजित आतंकी हमले को अंजाम दिला सकता है।
अब तक कुल 23 भारतीय आईएस की पकड़ वाले इराक-सीरिया में इस आतंकी संगठन की लड़ाई में शामिल होने जा चुके हैं। इनमें से 6 मारे गए और एक वापस मुंबई आ गया है। खुफिया एजेंसियोंं के मुताबिक इनमें से ज्यादातर लोग आईएस की गतिविधियों से ऑनलाइन रेग्युलर संपर्क में रहते हैं। इस लिहाज में हमने सभी को सुरक्षा बलों के जरिए निगरानी में रखा है।
आतंकवादी संगठनों से लड़ने के लिए अब तक कुल 23 भारतीय इराक-सीरिया में आईएसआईएस के कब्जे वाले इलाकों में गए हैं। उनमें से छह मारे गए जबकि एक मुंबई स्थित अपने घर लौट आया।
आईएसआईएस तत्वों ने जिन 30 अन्य भारतीयों को कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया है उन्हें भी मध्य पूर्व के संघर्ष वाले क्षेत्रों में जाने से रोक दिया गया है।
आईएसआईएस से फिलहाल लड़ने वालों में मुंबई के बाहरी इलाके कल्याण से दो युवक, ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला एक कश्मीरी, तेलंगाना से एक लड़का, एक कर्नाटक से, एक ओमान आधारित भारतीय और एक सिंगापुर आधारित भारतीय शामिल है।
यूएई ने इसी माह 37 साल की एक महिला आफ्शा जबीन उर्फ निक्की जोसेफ को भी वापस भेज दिया था। इस महिला पर आरोप है कि वह आईएस के लिए युवाओं को भर्ती करने का काम संभालती है।
गृहमंत्रालय ने कहा कि आईएस भारत में अपनी मौजूदगी स्थापित करने में सक्षम नहीं है लेकिन वह युवाओं को प्रभावित कर अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। मंत्रालय ने कहा कि प्रवासी भारतीयों और कुछ खास सेक्शन की स्थानीय आबादी को यह संगठन अपनी गतिविधियों में शामिल करने में लगा है। गृहमंत्रालय ने आशंका जताई है कि आईएस भारत में प्रायोजित आतंकी हमले को अंजाम दिला सकता है।
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