अंतरिक्ष में एक साल बिताकर पृथ्वी पर लौटने वाले अमरीकी अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली की लंबाई दो इंच बढ़ी हुई पाई गई। नासा ने बताया कि ऐसा गुरुत्वाकर्षण से बाहर रहने की वजह से हुआ है। वैसे, यह अस्थायी है। स्कॉट के भाई मार्क केली ने बताया कि दो दिन बाद अब फिर से उनकी लंबाई सामान्य हो गई है।
दरअसल, हमारा मेरुदंड गुरुत्वाकर्षण की वजह से खिंचा रहता है और इसलिए इसमें बढ़ोतरी नहीं होती। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गुरुत्वाकर्षण लगभग शून्य होता है इसलिए वहां रहने पर मेरुदंड पर इस तरह का दबाव नहीं रहता। अंतरिक्ष यात्रियों की लंबाई इस वजह से बढ़ जाती है। वैसे, चिकित्सा विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की बढ़ोतरी तीन प्रतिशत तक हो सकती है। अमरीकी अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली और रूसी अंतरिक्ष यात्री मिखाइल कॉर्निएंको अंतरिक्ष में 340 दिन गुजारकर बुधवार को लौटे हैं।
स्कॉट और मार्क का तुलनात्मक अध्ययन
अंतरिक्ष में रहने के दौरान शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं, इस पर वैज्ञानिक लंबे समय से अध्ययन कर रहे हैं। नासा इस बारे में अधिक जानकारी मिलने की आशा में है। इसकी वजह हैं स्कॉट के जुड़वां भाई मार्क केली। मार्क धरती पर ही रहे हैं। वैज्ञानिक इस वजह से जीन से जुड़ी बेहतर जानकारी जुटाने की उम्मीद में हैं।
यह होता है असर
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने का असर कई तरह से होता है। धरती पर रहते हुए रक्त का प्रवाह नीचे होता है। जबकि अंतरिक्ष में प्रवाह में बाधा होती है जिससे सिर पर जोर पड़ता है। इससे आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है। आंखों के अध्ययन का काम नासा के जापानी वैज्ञानिक डॉ. चिकाई मुकाई करेंगे।
याददाश्त पर असर
सिर पर ज्यादा दबाव के कारण याददाश्त पर भी असर होता है। जांचने का जिम्मा पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के डॉ. मैथियास बैसनर की टीम कर रही है। स्कॉट व मिखाइल चेहरे, नाक व त्वचा पर क्रीम लगाते रहे हैं। इससे बैक्टीरिया में आए बदलावों की जांच अमरीका के जीवविज्ञानी हरनन लोरेंजी की टीम करेगी।
शरीर पर गहरा प्रभाव
स्कॉट व मिखाइल की धमनियों में रक्त प्रवाह की जांच के लिए 2021 तक समय-समय पर अल्ट्रासाउंड किया जाएगा। इसी तरह उनकी हड्डियों आदि की भी लगातार जांच की जाएगी क्योंकि गुरुत्वाकर्षण लगभग नहीं होने की वजह से इन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
0 comments :
Thanks for comment. Please keep visit chokanna.com