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Monday, May 9, 2016

सूर्य नमस्कार को आदत बनाया तो बन जाएगी सेहत

अनुचर     9:00 AM  No comments

सूर्य नमस्कार सांस लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित कर मांसपेशियाँ लचीली व मजबूत बनाता है। सूर्य नमस्कार मे आसान की 12 मुद्रा होती है। सूर्य नमस्कार से पूरे शरीर की एक साथ कसरत हो जाती है। इसे कभी भी सुबह या शाम किया जा सकता है। लेकिन सुबह सुबह खाली पेट सूर्य नमस्कार करना अधिक लाभप्रद होता है। इसे नित्य 15-20 मिनट करने से वजन कम होने के साथ उदर, सांस, हड्डियों, जोड़ो व हृदय संबंधी कई बीमारियाँ दूर होती है। 



15-20 मिनट नित्य निकालें
सूर्य नमस्कार के लिए नित्य 15-20 मिनट निकालना सेहत की कई परेशानियों से दूर रख सकता है। यह हर आयु के लिए लाभप्रद है। इसे एक आदत बनाकर कई बीमारियों से बचा जा सकता है। 
सुबह सुबह सूर्य नमस्कार करने से हड्डियों को सूर्य की किरणों से विटामिन डी मिलता है। जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। सूर्य नमस्कार से पाचन तंत्र मजबूत होता है। यह मस्तिष्क मे रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। बालोंका झड़ना व सफ़ेद होना भी कम होने लगता है। 
इससे व्यक्ति शारीरिक एवं रूप से मजबूत होता है इससे लो ब्लड प्रेशर, हृदय संबंधी रोग, अवसाद जैसी समस्याएँ दूर होती है। 

सूर्य नमस्कार की विभिन्न मुद्राएं एवं उनके लाभ 
  • प्रणामासन : इससे एकाग्रता, मानसिक शांति तथा मुख पर चमक मिलती है। 
  • हस्तउतानासन : पाचंतन्त्र, हाथ, कंधे, गरदन, कमर, रीड की हड्डी की मजबूती व मोटापा घटाने मे लाभकारी है।
  • पादहस्तासन : पेट की चर्बी, कब्जियत, गेस, रीड़ की हड्डी व प्निडलियों के लिए लाभकारी है।
  • अश्वसंचलनासन : पैरों के स्नायु एवं तंत्रिका प्रणाली मजबूत होती है। कमर के निचले हिस्से व हाथ के लिए लाभकारी है। 
  • पर्वतासन : यह हाथ पैर एवं स्नायु के लिए लाभप्रद है। 
  • अष्टांग नमस्कार : हाथ पैर तथा वक्ष प्रदेश के स्नायु के लिए लाभप्रद है। 
  • भुजंगासन : कमर दर्द, सर्वाइकल, रीड़ की हड्डी, स्लीप डिस्क के रोगियों के लिए लाभप्रद है। 
इसके बाद पर्वतासन, अश्वसंचालनासन, पादहस्तासन, हस्तउत्तानासन एवं प्रणामासन की पुनरावृत्ति होती है।

ये लोग ना करें 
जिन्हे घुटने, माइग्रेन, मिर्गी चक्कर आदि की समस्या है या जिंका अभी ऑपरेशन हुआ है वे इसे न करें। बुखार मे भी इसे नहीं करना चाहिए। महिलाओं को मासिक धर्म के समय नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के चार महीने के बाद नहीं करें तथा संतान को जन्म देने के 3 महीने बाद तक इसे नहीं करना चाहिए।

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