लाल रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर के अंगों के स्वस्थ कामकाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। हमारे शरीर के सभी अंगो तक आक्सीजन पहुंचाना इनका प्रमुख कार्य होता है। लाल रक्त कोशिकाएं हमारे फेंफड़ों से आक्सीजन एकत्रित करती है और उसके बाद ये हृदय के स्पंदन के माध्यम से शरीर की सारी कोशिकाओं मे इस आक्सीजन को पहुँचाती है। एक चक्र समाप्त होने के बाद ये पुनः हृदय मे पहुँच जाती है।
लाल रक्त कोशिकाओं मे पाये जाने वाले प्रोटीन को हीमोग्लोबिन कहते हैं। हीमोग्लोबिन ही इन्हे लाल रंग देता हैं और यह ही फेंफड़ों से आक्सीजन एकत्रित करने के लिए उत्तरदायी होता है। इससे हम समझ सकते हैं की हीमोग्लोबिन हमारे शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमे स्वस्थ हमारे ऊतकों तक आक्सीजन ले जाने वाली रक्त कोशिकाएं कम हो जाती है। एनेमिक व्यक्ति को थकान, कमजोरी, चक्कर आना महसूस करता है या सांस लेने मे तकलीफ होती है।
हमे थकान और बालों के झड़ने के लक्षणों को हल्के मे नहीं लेना चाहिए। ये किसी गंभीर बीमारी के संकेत हो सकते हैं। एनीमिया के तीन कारण हो सकते हैं -रक्त नष्ट होना, अस्थि मज्जा द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं का कम उत्पादन या हमम्रे शरीर की कोशिकाएं स्वयं ही लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर रही हो। इसका सबसे आम कारण किसी दुर्घटना मे अधिक रक्त बहना होता है। हमारे रक्त मे आयरन की कमी या विटामिन बी12 की कमी भी इसका कारण होती है। आयरन स्वस्थ शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। आयरन की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन मे कमी आ जाती है। आयरन की कमी पूरा करने के लिए हम आयरन की खुराक ले सकते हैं। आयुर्वेद मे इसके लिए बहुत प्रभावी उपाय बताए गए हैं। जड़ी बूटियाँ आयरन की कमी को पूरा कर सकती है।
जब जांच मे आपके हीमोग्लोबिन का स्तर कम पाया जाये तो इसका मतलब है की आपके शरीर मे आयरन की कमी हो गयी है। हीमोग्लोबिन के स्तर को सही करने के लिए हम प्राकृतिक उपायों का प्रयोग कर सकते हैं। आयरन की कमी के लिए हर्बोग्लोबिन केपसूल का उपयोग बहुत ज्यादा चलन मे है। ये केपसूल जड़ी बूटियों से तैयार होते हैं जो की पूरी तरह से दुष्प्रभाव रहित हैं। इन केपसूलों मे शिलाजित्म अश्वगंधा, सफ़ेद मूसली, तज, हिराबोल, काहू, गजवान, लोह भस्म, स्वर्ण भस्म, जव, केसर, गोदन्ती, हड़ताल, और लोंग होते हैं। ये सभी जड़ी बूटियाँ हीमोग्लोबिन के स्तर को सुधारने बहुत कारगर है।
हर्बोग्लोबिन केपसूल को दिन मे दो बार भोजन के बाद लेना चाहिए, हर्बोग्लोबिन केपसूल आपकी कई प्रकार से मदद करता है जैसे की -
हार्बोग्लोबिन केपसूल मे उपस्थित शक्तिशाली जड़ी बूटियाँ हीमोग्लोबिन के स्तर को सुधारने के लिए आयुर्वेद उपचार मे विश्वसनीय जड़ी बूटियाँ हैं। ये केपसूल 100 प्रतोषत प्राकृतिक और रसायन मुक्त हैं, ये केपसूल गुणवत्ता मे उत्तम हैं। किसी भी आयु के स्त्री या पुरुष इन अत्यंत प्रभावी केपसूलों को ले सकते हैं। क्यूंकी ये केसपुल रसायन मुक्त है और इन्कस कोई दुष्प्रभाव नहीं है इसलिए आप इन्हे लंबे समय तक ले सकते हैं। तीन से चार महीने तक इन्हे लेने पर इनके अच्छे परिणाम दिखाई देने लगते हैं।
लाल रक्त कोशिकाओं मे पाये जाने वाले प्रोटीन को हीमोग्लोबिन कहते हैं। हीमोग्लोबिन ही इन्हे लाल रंग देता हैं और यह ही फेंफड़ों से आक्सीजन एकत्रित करने के लिए उत्तरदायी होता है। इससे हम समझ सकते हैं की हीमोग्लोबिन हमारे शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमे स्वस्थ हमारे ऊतकों तक आक्सीजन ले जाने वाली रक्त कोशिकाएं कम हो जाती है। एनेमिक व्यक्ति को थकान, कमजोरी, चक्कर आना महसूस करता है या सांस लेने मे तकलीफ होती है।
हमे थकान और बालों के झड़ने के लक्षणों को हल्के मे नहीं लेना चाहिए। ये किसी गंभीर बीमारी के संकेत हो सकते हैं। एनीमिया के तीन कारण हो सकते हैं -रक्त नष्ट होना, अस्थि मज्जा द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं का कम उत्पादन या हमम्रे शरीर की कोशिकाएं स्वयं ही लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर रही हो। इसका सबसे आम कारण किसी दुर्घटना मे अधिक रक्त बहना होता है। हमारे रक्त मे आयरन की कमी या विटामिन बी12 की कमी भी इसका कारण होती है। आयरन स्वस्थ शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। आयरन की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन मे कमी आ जाती है। आयरन की कमी पूरा करने के लिए हम आयरन की खुराक ले सकते हैं। आयुर्वेद मे इसके लिए बहुत प्रभावी उपाय बताए गए हैं। जड़ी बूटियाँ आयरन की कमी को पूरा कर सकती है।
जब जांच मे आपके हीमोग्लोबिन का स्तर कम पाया जाये तो इसका मतलब है की आपके शरीर मे आयरन की कमी हो गयी है। हीमोग्लोबिन के स्तर को सही करने के लिए हम प्राकृतिक उपायों का प्रयोग कर सकते हैं। आयरन की कमी के लिए हर्बोग्लोबिन केपसूल का उपयोग बहुत ज्यादा चलन मे है। ये केपसूल जड़ी बूटियों से तैयार होते हैं जो की पूरी तरह से दुष्प्रभाव रहित हैं। इन केपसूलों मे शिलाजित्म अश्वगंधा, सफ़ेद मूसली, तज, हिराबोल, काहू, गजवान, लोह भस्म, स्वर्ण भस्म, जव, केसर, गोदन्ती, हड़ताल, और लोंग होते हैं। ये सभी जड़ी बूटियाँ हीमोग्लोबिन के स्तर को सुधारने बहुत कारगर है।
हर्बोग्लोबिन केपसूल को दिन मे दो बार भोजन के बाद लेना चाहिए, हर्बोग्लोबिन केपसूल आपकी कई प्रकार से मदद करता है जैसे की -
- हीमोग्लोबिन के कमी को दूर करता है
- एनीमिया का उपचार करता है
- रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को सुद्रड़ करता है
- दर्द भरे अनियमित ऋतुस्त्राव का इलाज करता है
- हड्डियों की भंगुरता और सुस्ती का इलाज करता है
- तनाव, मानसिक थकावट और सर दर्द का इलाज करता है
क्या यह सुरक्षित है ?
हार्बोग्लोबिन केपसूल मे उपस्थित शक्तिशाली जड़ी बूटियाँ हीमोग्लोबिन के स्तर को सुधारने के लिए आयुर्वेद उपचार मे विश्वसनीय जड़ी बूटियाँ हैं। ये केपसूल 100 प्रतोषत प्राकृतिक और रसायन मुक्त हैं, ये केपसूल गुणवत्ता मे उत्तम हैं। किसी भी आयु के स्त्री या पुरुष इन अत्यंत प्रभावी केपसूलों को ले सकते हैं। क्यूंकी ये केसपुल रसायन मुक्त है और इन्कस कोई दुष्प्रभाव नहीं है इसलिए आप इन्हे लंबे समय तक ले सकते हैं। तीन से चार महीने तक इन्हे लेने पर इनके अच्छे परिणाम दिखाई देने लगते हैं।
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