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Tuesday, January 30, 2018

इज़राइल जाकर ये दस काम नहीं किये तो क्या किया

अनुचर     11:16 AM  No comments
आपको इज़राइल की दस ऐसी खास चीजें बताने जा रहे हैं जिनहे आपको इज़राइल मे जाकर देखना चाहिये , या जिनहे आपको इज़राइल मे जाकर करना चाहिये


इज़राइल इतना अधिक आकर्षक है की वहाँ के atractions मे से दस मुख्य atractions की लिस्ट बनाना बहुत ही मुश्किल काम है।

आप एक सप्ताह के टूर पे जा रहे हो या एक महीने, इससे इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता, इस लिस्ट के अनुस्रार घूमेंगे तो आपको पूरा इज़राइल ज्यादा और मजेदार देखने को मिलेगा ।

तो चलिये शुरू करते हैं


10. मृत सागर मे फ्लोटिंग


ये धरती का लोवेस्ट पॉइंट है । इस समुद्र मे कोई डूबता ही नहीं है । इस समुन्दर कोई भी तैर सकता है । किसी को भी हाथ पैर चलाने की जरूरत नहीं। बस घर के बिस्तर की तरह आराम से समुद्र पर सो जाइए, आप नाव की तरह पानी पर फ्लोट करते रहेंगे, डूबेंगे नहीं।


09. येरूशेलम का पुराना शहर

वाकई मे इज़राइल आए और येरूशेलम नहीं देखा तो क्या देखा। यहाँ की wailing wall, यहाँ के चर्च, और चट्टान का डोम।
आप अपना पूरा दिन यहाँ बिता सकते हैं। पुराने शहर के बाज़ारों की सकड़ी गलियों की दुकाने आपका इंतजार कर रही है।
जिस जगह जीसस को सूली पर चड़ाया गया था वहाँ तो जाना भूलना ही मत।
येरूशलम का विस्मयकारी टूर आपके दिमाग से कभी नहीं जाएगा

08. तेल अवीव के कारमेल मार्केट मे मोलभाव का अलग ही मजा है


तेल अविव का कारमेल मार्केट मे जाकर आप अपनी बार्गेनिंग सकिल की धार को तेज कर सकते हैं। यही वो जगह है जहां आपको असली इज़राइल मिलेगा। एलेनबी स्ट्रीट से कपड़ो की दुकाने शूरु होती है। उसके बाद तरह तरह का भोजन, तरह तरह के मसालों की खुशबू और दूकानदारों के बीच का कोंपीटीशन देखकर मजा आ जाएगा ।

इस जगह भी आप अपना पूरा दिन बिता सकते है

07. लाल सागर की स्कूबा डाइविंग


अगर आप समुद्र की शानदार मूंगा चट्टानें देखना चाहते हों , खूबसूरत मछलियाँ देखना चाहते हों , और क्रिस्टल से भी साफ पानी देखना चाहते हों, तो ईलाट चले जाइए।
यहाँ पूरे साल जाया जा सकता है।
जो स्कूबा डाइव नहीं करना चाहते उनके लिए अंडर वॉटर ओबजरवेटरी है , शानदार बीच हैं , और यदि स्कूबा डाइव के मजे लेने हैं तो कहना ही क्या ।


06. याद वाशेम


हो सकता है यहाँ जाकर आपको बहुत दुख हो, लेकिन इज़राइल को गहराई से जानना हो तो ये जगह बहुत खास है । ये इज़राइल के उन साठ लाख यहूदियों का याद मे बनाया गया स्मारक है, जिनका नाजयों ने सामूहिक नरसंहार किया था ।

45 एकड़ मे फेली हुई जगह पर म्यूजियम हैं, मोनुमेंट्स हैं, प्रदर्शनी स्थल है , लाइब्रेरी हैं और कई सारे ऐसे रिसोर्स हैं जो आपके दिलो दिमाग को होलोकास्ट यानि की समूहिक नर संहार की याद दिला देंगे । 


05. रेमन क्रेटर के मुह पर खड़े होकर फोटो खींचना मत भूलना


इज़राइल के दक्षिण के रेगिस्तान मे रेमन क्रेटर है। बीरशेवा से यहाँ जाने मे एक घंटा लगता है । ये क्रेटर 40 किलोमीटर लंबा और 10 किलोमीटर चौड़ा है । इसे पानी ने और पर्यावरण ने प्रक्रतिक रूप से दिल के शेप मे उभार दिया है

ये दुनिया का सबसे बड़ा क्रेटर है । इसकी ड़ीपेस्ट पॉइंट की गहराई 500 मीटर भी है


04. तेल अविव के बीच पर सन सेट का मजा


तेल अवीव के खूबसूरत रेतीले समुद्री बीच सन सेट देखने के लिए एकदम सही जगह है। बीयर की बोतल के साथ, या वाइन के पेग के साथ या जो भी आप पसंद करते हों उसके साथ ।

आराम से रेत मे लेटकर डूबते सूरज का सुखद अनुभव शब्दों मे बताया नहीं जा सकता । अपने दिन भर के घूमने फिरने का समापन करने के लिए इससे बेहतर क्या होगा ।


03 मसाद के किले


इज़राइल के दक्षिण पश्चिम के पठार पर, मृत सागर को देखते हुए मसाद के किले खड़े हैं। मसाद की कहानी भी यहूदी वीरताओं मे से एक कहानी है । यहाँ रहने वाले 1000 लोगों ने रोमन शत्रु के सामने आत्मसमर्पण करने की बजाय सामूहिक आत्महत्या कर ली थी ।

आगर आप एडवेंचर के शौकीन है तो साँप की तरह लहराते हुए रास्तों से छलके मसाद के शिखर पर जाना मत भूलना , नहीं तो फिर यहाँ केबल कार भी है । यहाँ से सूर्योदय का नजारा सबसे अद्भुत होता है ।


02. हैरत मे डालने वाले हाइफा के बहाई गार्डन


बहाई गार्डन्स की अद्भुत छत वो जगह है जहां शायद पर्यटक सबसे पहले न जाते हों । लेकिन इज़राइल जाएँ तो इस जगह जरूर से जरूर जाना चाहिए । बहाई गार्डन दुनिया के सबसे खूबसूरत गार्डन हैं ।

और हाँ यहाँ जाना फ्री है


01. तेल अविव की रातें


तेल अविव वो शहर है जो कभी सोता नहीं, यहाँ की नाइटलाइफ़ शानदार है। यहाँ आपको सब कुछ मिलेगा ।

यहाँ के अनगिनत बार, क्लब्स, म्यूजियम, थेटर, डांस क्लब्स, आपको पता ही नहीं चलने देंगे की कब सुबह हो गयी

सुबह होने तक तेल अविव शहर आपको लुभाता रहेगा

इज़राइल का ये वाला विडियो देखिये 








Tuesday, November 21, 2017

राहुल गांधी के आलू को सोना बनाने वाले भाषण पर बन गया ये मजेदार गाना

अनुचर     1:11 PM  No comments


Tuesday, September 26, 2017

ओनेक ओबव्वा - साधारण सी स्त्री बन गयी साक्षात रणचंडी, जिसने दुश्मन की लाशों के ढेर लगा दिये

अनुचर     9:09 AM  No comments
अपने देश की मिट्टी मे वो ताक़त है की साधारण सा दिखाई देने वाला व्यक्ति भी महाबलशाली बन जाता है। ऐसे हजारों महाबली हमारे देश मे पैदा हुए, लेकिन उनमे से कइयों के नाम वक़्त के साथ खो गए। 
आज एक ऐसी साधारण स्त्री की वीरता को याद करेंगे, जो थी तो साधारण से शरीर की लेकिन उसका आत्मबल इतना ऊंचा था की उसने दुशमन के सैनिकों की लाशों के ढेर लगा दिये । 


मुसमिल आक्रांता हैदर अली की फौज ने चित्रदुर्ग के किले को चारों तरफ से घेर लिया था । हैदर अली की फौज किसी भी वक़्त हमला करना चाहती थी। उसके सैनिको के गले खून की प्यास से सूख रहे थे। 

लेकिन चित्रदुर्ग के शासक थे मद्करी नायक। चित्रदुर्ग की सेना भी किले की दीवारों के पीछे तैनात हो गयी। किले की प्राचीरों पर पहरेदार डट गए। इतनी जबर्दस्त किलेबंदी की हैदर अली किले पर हमला करने की जुर्रत नहीं कर पा रहा था। उसे समझ ही नहीं आ रहा थी की किस तरफ से हमला करूँ।

किले की एक प्राचीर पर एक पहरे दार का पहरा था। उसका नाम था कहले मुड्डा। कहले मुड्डा को उसकी पत्नी खाना खाने के लिए बुलाने आई।

उसका नाम था ओबव्वा

वो नीचे से चिल्लाई।

अजी सुनते हो ! खाना खालों आकर

वहीं नीचे चट्टानों के बीच मे बनी एक गुफा मे पहरेदार का घर था । पहरेदार को लेकर वो अपने घर चली आई। उसे थाली मे भोजन परोसकर पानी लेने उठी तो देखा घर मे पानी ही नहीं था। इतने मे ही ओबव्वा के पति ने पानी मांगा। ओबव्वा ने मटका उठाया और पानी लेने ऊंचे टीले पर चल पड़ी। ऊंचे टीले पर साल भर मीठा पानी रहता था।

लेकिन तभी एक गड़बड़ हो चुकी थी।

चट्टानों के बीच मे एक छोटी सी झिर्री बनी हुई थी

वो झिर्री इतनी चौड़ी थी की एक व्यक्ति मुश्किल से उसमे से निकल पाता था। ओबव्वा उसी झिर्री से निकालकर पानी भरने आई थी।

लेकिन ओबव्वा को किसी ने देख लिया था ।

हैदर अली ने ओबव्वा को झिर्री से निकालकर ऊपर जाते हुए देख लिया था । उसे किले मे घुसने का रास्ता मिल गया था।

उसने अपने सैनिकों को उस झीरी से होकर किले के अंदर घुसने का आदेश दिया । लेकिन उस झिरी की कम चौड़ाई के कारण एक एक करके ही अंदर घुसा जा सकता था ।

एक सैनिक उस झिरी से अंदर जाने का प्रयास करने लगा। जैसे ही उसका सिर झिरी के पार निकला ओबव्वा की नजर उस पर पड़ गयी।


टीले पर खड़ी ओबव्वा ने उस सैनिक का सर देख लिया था। ओबव्वा ने मटका फटका और घर की और दौड़ गयी। ओबव्वा ने घर मे रखा धान कूटने का मोटा डंडा उठा लिया। अपने पति जरा सी भी भनक नहीं लगने दी।

इस डंडे को ओनेक कहते हैं।

तब तक दुशमन का सैनिक झिर्री मे से आधा घुस चुका था। ओबव्वा दबे पाँव झिर्री के पास गयी। 
 

ओबव्वा ने अपने शरीर की पूरी शक्ति से सनिक के सर पे प्रहार कर दिया ।

सैनिक का सर तुरंत फट गया,

उसकी आत्मा तुरंत इस संसार को छोड़ गयी।


इससे पहले की दूसरा सैनिक अंदर घुस पाता, ओबव्वा ने मारे हुए सैनिक को एक तरफ घसीट के पटक दिया।

जैसे ही दूसरे सैनिक का माथा आया, उसके भी सर पर ओबव्वा ने जोरदार प्रहार कर दिया।

वो भी तुरंत मर गया

जैसे जैसे सैनिक अंदर घुस रहे थे, ओबव्वा उन्हे मारती जा रही थी।

उनकी लाशों को एक तरफ घसीट घसीट के पटकती जा रही थी।

वहाँ लाशों का ढेर लग गया था, वो रणचंडी बन चुकी थी, उसका चेहरा लाल हो गया था, लाशों के ढेर लग गए थे।

एक भी सैनिक अंदर आकर जिंदा नहीं बच सका।

वहाँ अगर कोई चीज चल रही थी, तो वो थी ओबव्वा की भुजाएँ और ओबव्वा का ओनेक।

इधर ओबव्वा का पति अपना भोजन समाप्त कर चुका था। पानी नहीं होने के कारण वो ओबव्वा को ढूंढता हुआ बाहर आया

बाहर का दृश्य देखकर उसकी भी आंखे फट गयी। वो अपनी पत्नी मे साक्षात रणचंडी को देख रहा था।

कभी लाशों के ढेर को देखता, कभी सनिकों के सर पर पढ़ते ओबव्वा के प्रहारों को देखता।

 
तभी ओबव्वा चिल्लाई


मुझे क्या देख रहे, ऊपर जाओ, तुरही बजाकर राजा को सावधान करो


पहरेदार तुरंत ऊपर भागा। उसकी तुरही ज़ोर ज़ोर से बजने लगी। जैसे ही तुरही गूंजी चित्रदुर्ग की सेना मोर्चे पर आ गयी

ऊपर पहरेदार तुरही बजा रहा था। नीचे ओबव्वा सब सैनिकों का उत्साह बढ़ा रही थी।


चित्रदुर्ग के सैनिक किले के बाहर खड़े हैदर अली की फौज से भिड़ गए।

ओबव्वा अभी भी वहीं खड़ी थी

तभी एक और मुस्लिम सैनिक झिर्री मे से निकला, वो दबे पाँव धीरे धीरे ,ओबव्वा के पीछे आया, वो ओबव्वा की पीठ पीछे ओबव्वा के नजदीक पहुंच गया।


ओबव्वा अभी तक असावधान थी।

रणचंडी का रूप धर लाशों के ढेर लगाने वाली ओबव्वा के पीछे दुष्ट आ खड़ा हुआ था। ओबव्वा चित्रदुर्ग के सैनिकों का उत्साह बढ़ा रही थी ।

दुष्ट उसकी पीठ मे तलवार मारना चाहत था।

और

बिना एक पल की भी देर किए, उस दुष्ट ने ओबव्वा की पीठ मे तलवार घोंप दी। गिरते गिरते भी ओबव्वा ने अपना ओनेक उस दुष्ट सैनिक के सर पर दे मारा।

उसका भी उसी समय सर फट गया


ऐसी शूरवीर थी ओबव्वा

आज भी आप चित्रदुर्ग के किले मे घूमने जाएँगे तो आपको वो झिर्री दिखाई देगी

उस झिर्री का नाम ओबव्वा कीण्डी रखा गया है

ओबव्वा के नाम से चित्रदुर्ग मे एक बहुत बड़ा स्टेडियम भी है




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